देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू किए जाने के बाद सरकार ने माना है कि इस व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत है।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में कहा कि नई कर व्यवस्था में छोटे और मझोले कारोबारियों पर बोझ कम करने के लिए जीएसटी में व्यापक बदलाव की जरूरत है।
जीएसटी में करीब दर्जन भर से अधिक अप्रत्यक्ष करों की जगह ली है। अधिया ने कहा कि जीएसटी को पूरी तरह से व्यवस्थित होने में करीब एक साल का समय लगेगा।
जीएसटी लागू होने के बाद इससे हो रही समस्याओं को देखते हुए जीएसटी काउंसिल कई बदलावों को मंजूरी दे चुका है।
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छोटे और मझोले कारोबारियों को जहां रिटर्न फाइल करने में राहत दी गई है वहीं निर्यातकों को राहत देते हुए रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। इसके साथ ही 100 से अधिक आइटम्स की कीमतों को कम किया गया है।
अधिया ने कहा, 'इस पूरी व्यवस्था की समीक्षा किए जाने की जरूरत है। यह संभव है क्योंकि एक ही चैप्टर में गुड्स की अलग-अगल दरें हैं। हमें चैप्टर के हिसाब से देखना होगा ताकि छोटे और मझोले कारोबारियों बोझ को कम किया जा सके। अगर ऐसा पाया जाता है कि इन पर और आम आदमी पर टैक्स का बोझ है तो उसे कम किया जाना चाहिए। इससे जीएसटी की स्वीकार्यता बढ़ेगी।'
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक गुवाहाटी में 10 नवंबर को होगी, जिसमें इन सभी मसलों पर विचार किए जाने की संभावना है।
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HIGHLIGHTS
- जीएसटी लागू किए जाने के बाद सरकार ने माना है कि इस व्यवस्था में बड़े बदलाव की जरूरत है
- राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि नई कर व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत है
Source : News Nation Bureau