सॉवरेन बॉन्ड के द्वारा विदेशी कर्ज जुटाने की कोशिशों को झटका लग सकता है. दरअसल, स्वदेशी जागरण मंच (SJM) ने सॉवरेन बॉन्ड के जरिए विदेशी फंड जुटाने का विरोध किया है. इस विरोध के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने वित्त मंत्री को विदेशी सॉवरेन बॉन्ड पर फिर से विचार करते हुए पूर्व बैंकर्स और अर्थशास्त्रियों द्वारा इस संबंध में उठाए गए सवालों को जांच करने को कहा है.
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बजट में हुई थी सॉवरेन बॉन्ड के जरिए फंड जुटाने की घोषणा
प्रधानमंत्री कार्यालय का कहना है कि इन सवालों के जांच के बाद ही बजट के प्रस्ताव को लागू करने पर विचार किया जाना चाहिए. बता दें कि 5 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की थी कि देश की विकास योजनाओं के लिए सॉवरेन बॉन्ड के जरिए लोन लिया जाएगा. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार के इस प्रस्ताव का राष्ट्र विरोधी बताते हुए विरोध किया है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार सॉवरेन बॉन्ड के जरिए 7.1 लाख करोड़ रुपये उधारी का 10-15 फीसदी चालू वित्त वर्ष में जुटाने की योजना है. बता दें कि सरकार की ओर से अगले 5 साल में 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मूलभूत ढांचे में 100 लाख करोड़ रुपये निवेश का लक्ष्य रखा है. सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में पहला सॉवरेन बॉन्ड जारी कर सकती है.
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क्या है सॉवरेन बॉन्ड
दरअसल, बॉन्ड के जरिए एक निश्चित रिटर्न मिलता है. इसके जरिए सरकार या कंपनियां पूंजी जुटाती हैं. बॉन्ड खरीदने वाला एक तरह से सरकार या किसी कंपनी को पूंजी कर्ज के रूप में दे रहा होता है और उसके बदले में बॉन्ड लेने वाले को मूलधन के साथ एक फिक्स्ड रिटर्न का वादा किया जाता है.