भारतीय रुपया 74 रुपये प्रति डॉलर की सीमा पहले ही पार कर चुका है, और विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार जारी वैश्विक आर्थिक चिंताओं और वित्तीय व तेल बाजार में और गिरावट की आशंकाओं के कारण आने वाले दिनों में रुपये में गिरावट जारी रह सकती है. सोमवार को रुपया 17 माह के निचले स्तर यानी 74.17 रुपये प्रति डॉलर पहुंच गया था.
रुपये में यह गिरावट कोरोनावायर के प्रकोप के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के गंभीर स्थिति में होने को लेकर लगातार जारी चिंताओं पर वैश्विक वित्त और तेल बाजार में आई भारी गिरावट के कारण हुई है. तेल कीमतों में भारी गिरावट ने भावना को और कमजोर किया है.
हालांकि पिछले 10 सालों में रुपया काफी कमजोर हुआ है, लेकिन पिछले एक महीने के दौरान यह लगभग 71 रुपये प्रति डॉलर से टूटकर 74 रुपये प्रति डॉलर से ज्यादा टूटा है.
तेल कीमतों में गिरावट ने मुद्रा बाजार में एक बड़ी भूमिका अदा की है. सोमवार को ऊर्जा बाजार में भारी गिरावट देखी गई और तेल कीमतों में लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जो 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद सबसे बड़ी गिरावट है.