बजट से गायब हुआ शहर और मध्य वर्ग, आम बजट में छाई रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था

मोदी सरकार के चौथे बजट में किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था छाया रहा। आयकर में छूट के अलावा शहरी मध्य वर्ग को कोई राहत नहीं मिली जबकि गांव और किसानों को लेकर सरकार ने कई अहम घोषणाएं की।

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Abhishek Parashar
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बजट से गायब हुआ शहर और मध्य वर्ग, आम बजट में छाई रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था

बजट 2017-18 में छाई रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था (फाइल फोटो)

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मोदी सरकार के चौथे बजट में किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था छाया रहा। आयकर में छूट के अलावा शहरी मध्य वर्ग को कोई राहत नहीं मिली जबकि गांव और किसानों को लेकर सरकार ने कई अहम घोषणाएं की।

नोटबंदी और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस बात की उम्मीद की जा रही थी कि सरकार को बजट के दौरान जीडीपी ग्रोथ को बनाए रखने और ग्रामीण खर्च के बीच सामंजस्य बिठाने की जद्दोजहद का सामाना करना होगा लेकिन बजट के बाद यह बात साफ हो चुकी है कि सरकार को ऐसी किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विशेष जोर देने देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगले 5 सालों में किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 2017-18 के बजट को किसान केंद्रित रखे जाने की उम्मीद थी और सरकार ने ऐसा किया भी।

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उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसमें से उत्तर प्रदेश और पंजाब किसान बहुल राज्य हैं। वित्त मंत्री ने 2017-18 में किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये का कृषि कर्ज दिए जाने की घोषणा की। वहीं नाबार्ड के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों के लिए अगले तीन सालों में 1900 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का ऐलान किया गया।

इसके अलावा किसानों को कृषि उत्पादों की सफाई और पैकेजिंग के लिए 75 लाख रुपये का आवंटन किया गया जबकि डेयरी प्रॉडक्ट्स की प्रोसेसिंग के लिए इंफ्रा फंड की स्थापना किए जाने की घोषणा की गई है।

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ग्रामीण क्षेत्रों में खर्च बढ़ाए जाने के मकसद से मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार योजना) के आवंटन में रिकॉर्ड 48,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं जो अब तक इस योजना के लिए किया गया सबसे अधिक आवंटन है।

साथ ही ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2016-17 में 133 किलोमीटर सड़क का प्रतिदिन निर्माण किया गया, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह 73 किलोमीटर प्रतिदिन थी।

मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 55 फीसदी हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता में 2014 में 42 फीसदी सुधार हुआ था जो अब बढ़कर 60 फीसदी हो चुका है। ग्रामीण इकनॉमी को बड़ी सहायता देते हुए मोदी सरकार ने कुल ग्रामीण आवंटन को बढ़ाकर 1 लाख 87, 233 करोड़ रुपये कर दिया है। 2016-17 के बजट में मोदी सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए 87,765 करोड़ रुपये का आवंटन किया था।

इसके साथ ही किसानों को बड़ी राहत देते हुए सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के कृषि कर्ज का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2017-18 में सरकार ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को कर्ज में प्राथमिकता दिए जाने का फैसला लिया है।

गरीबी दूर करने की दिशा में बड़ी घोषणा करते हुए सरकार ने 2019 तक गांवों में रह रहे एक करोड़ परिवारों को गरीबी रेखा (बीपीएल) से बाहर निकाले जाने का लक्ष्य तय किया है।

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HIGHLIGHTS

  • बजट 2017-18 में किसान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था छाया रहा
  • आयकर में छूट के अलावा शहरी मध्य वर्ग को कोई राहत नहीं मिली
  • जबकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की बेहतरी के लिए कई बड़ी घोषणाएं की गईं

Source : Abhishek Parashar

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