सुप्रीम कोर्ट से जेपी ग्रुप को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के निदेशकों और कंपनी की घर खरीददारों के प्रति ज़िम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने सख़्त रवैया अख़्तियार करते हुए कंपनी के सभी निदेशकों और उनके परिवार के सदस्यों को निजी संपत्ति की बिक्री करने पर भी रोक लगा दी है।
इसके साथ ही कोर्ट ने जेपी ग्रुप के पैसों को जमा कराने के लिए समयसीमा निर्धारित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस समयसीमा के मुताबिक अदालत में आज ही (बुधवार को) 275 करोड़ रुपये जमा कराने के आदेश दिए हैं।
साथ ही 275 करोड़ रुपये साल के अंत तक जमा कराने है। यह रकम कंपनी को दो किश्तों में जमा करानी है। 150 करोड़ रुपये 14 दिसंबर तक और बाकी 125 करोड़ रुपये दिसंबर अंत तक जमा कराने को कहा है।
केस की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा, 'अच्छे बच्चों की तरह समय पर पैसा जमा करा देना।'
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेपी इंफ्रा के सभी ग्राहकों को भी अदालत में समन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कंपनी के निदेशकों ने घर खरीददारों की कीमत पर तरक्की की।
क्या है मामला?
दरअसल जेपी ग्रुप की सहयोगी कंपनी जेपी इंफ्रा के प्रोजेक्ट्स में घर खरीदने वाले करीब 400 ग्राहकों ने उपभोक्ता कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। अपनी याचिका में खरीदारों ने उपभोक्ता कानून के तहत सुप्रीम कोर्ट से संरक्षण दिए जाने की मांग की है।
इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है । सुप्रीम कोर्ट पहले ही जेपी इंफ्रा की पैरेंट कंपनी जेपी एसोसिएट्स को 2000 करोड़ रुपये अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दे चुका है।
लेकिन लगातार पैसों की कमी की बात कह कर जेपी ग्रुप अदालत की रजिस्ट्री में पैसा नहीं जमा कर पाया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट लगातार कड़ा रुख बनाए हुए है और ग्राहकों के हितों के लिए कंपनी को पैसे चुकाने के निर्देश दिए हैं।
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Source : News Nation Bureau