सरकार भले ही देश भर में नगद रहित अर्थव्यवस्था और मोबाइल बैंकिंग को बढ़ावा देने की बात कर रही है लेकिन इसकी राह इतनी भी आसान नहीं है।
अंग्रेजी अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर की टेलीकॉम कंपनियों को अपने डाटा सर्विस को और दुरूस्त करने के लिए अगले पांच साल तक हर वर्ष करीब एक लाख करोड़ रुपये निवेश करने होंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक एयरटेल की स्थिति सबसे बेहतर है। उसे पेमेंट बैंक लाइसेंस हासिल है। जबकि वोडाफोन में मोबाइल वॉलेट और M-Pesa की सुविधा उपलब्ध है जिसकी मदद से ग्राहक और भुगतान लेने वाले के बीच लेनदेन हो सकती है।
यह भी पढ़ें: सभी स्क्रैप नोट बाजार में नहीं आएंगे, अरुण जेटली ने दिए संकेत
आदित्य बिड़ला आइडिया और आदित्य बिड़ला नुवो भी यह सुविधा देते हैं। आदित्य बिड़ला नुवो को डिजिटल पेमेंट के लिए बैंकिंग लाइसेंस हासिल है।
बाजार में नई आए रिलायंस जियो ने भी जियोमनी ई-वॉलेट की सुविधा शुरू कर दी है।
हालांकि, इन सबके बावजूद देश भर में खराब मोबाइल नेटवर्क एक बड़ी समस्या है। खासकर दूर-दराज और गांव-कस्बों के इलाकों में मोबाइल टावर की कमी, कस्टमर सर्विस और खराब डाटा सर्विस से निपटना कंपनियों के लिए बड़ी चुनौती है।
बता दें कि 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार अलग-अगल प्लेटफॉर्म से लगातार कैशलेस इकॉनोमी को बढ़ावा देने की बात कर रही है।
यह भी पढ़ें: नक़द पैसों से खरीददारी पर रोक लगाने के लिए कैश पेमेंट पर सेस लगाने की तैयारी में है सरकार
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कुछ दिनों पहले डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए कई नए फैसलों की घोषणा की थी।
HIGHLIGHTS
- देश में मोबाइल इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से अपडेट नहीं
- इंफ्रास्ट्रक्चर के अपडेट के बगैर कैशलेस इकॉनोमी के सपने को पूरा करने की चुनौती
Source : News Nation Bureau