नोटबंदी (Demonetisation in india 2016) को आज दो साल पूरे हो गए हैं, लेकिन देश में अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि इससे फायदा हुआ या नुकसान. इसको लेकर रिजर्व बैंक ने आंकड़े भी जारी किए हैं, लेकिन उनकी व्याख्या भी लोग अपने अनुसार कर रहे हैं. जहां सरकार समर्थक लोग इसे सफल बता रहे हैं वहीं विपक्षी और कुछ अर्थशास्त्री इसकी कड़ी आलोचन भी कर रहे हैं. हालांकि देश में शायद यह कम ही लोगों को पता होगा कि नोटबंदी (Notbandi) का यह मामला नहीं है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने जब नोटबंदी (Demonetization) का फैसला लिया तो यह देश में तीसरी बार हो रहा था. जहां मोदी सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद किए थे, वहीं इससे पहले दोनों बार में 1000, 5000 और 10,000 के नोट बंद किए गए थे. इसमें खास बात है यह है कि आजादी की ठीक पहले 1000, 5000 और 10,000 के नोट बंद किए गए थे, जिन्हें आजादी के बाद फिर से चलाया गया था. लेकिन मोरारजी भाई की सरकार ने इसे एक झटके में बंद कर दिया था.
पहली नोटबंदी (demonetization)
पहली बार देश में 1938 में 1000, 5000 और 10,000 रुपए का नोट जारी हुआ था. लेकिन जनवरी 1946 में सरकार ने डिमॉनेटाइजेशन (demonetization) का फैसला लिया और इन नोटों को अचानक बंद कर दिया था.
दूसरी नोटंबंदी (demonetization)
देश में दूसरी बार नोटबंदी (demonetization) फिर जनवरी माह में हुई थी, लेकिन इस बार वर्ष 1978 का था. उस समय की मोरारजी देसाई सरकार ने नोटबंदी (demonetization) का फैसला लागू किया था. उस दौरान भी 1000, 5000 और 10,000 रुपये के नोट बंद किए गए थे. हालांकि उस समय के आरबीआई गर्वनर आईजी पटेल ने सरकार के फैसले की आलोचना की थी
तीसरी नोटबंदी (demonetization)
देश में तीसरी बार नोटबंदी (demonetization) 8 नवंबर 2016 को हुई थी. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस दौरान 500 और 1000 रुपए का नोट बंद कर दिया था. इस बार नोटबंदी (demonetization) की घोषणा के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों आर्मी चीफ और राषट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की और रात 8 बजे टेलीविजिन पर ऐलान कर दिया की 500 और 1000 रुपये के नोट नहीं चलेंगे.
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पीएम मोदी ने नोटबंदी (demonetization) के बताए थे ये कारण
नोटबंदी (demonetization) के लिए मोदी सरकार ने कई तर्क रखे थे. इसमें भ्रष्टाचार, कालाधन, जाली नोट और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलने की भी बात थी.
Arun Jaitley said note ban had a huge impact in formalising the economy
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— ANI Digital (@ani_digital) November 8, 2018
कैश की पोजीशन
11 नवंबर 2016 को 15.26 लाख करोड़ रुपए की करेंसी सर्कुलेशन में थे.
12 अक्टूबर 2018 को यह बढ़कर 18.76 लाख करोड़ रुपए हो गए.
इसमें करीब 3.5 लाख करोड़ रु. की बढ़त दर्ज की गई.
हालांकि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बढ़ा
नेशनल पेमेंट्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में 10.03 अरब ट्रांजेक्शन हो रहे थे, जो अगले वर्ष करीब दोगुना होकर 20.71 अरब होने लगे. अक्टूबर 2018 में प्रतिदिन 7.2 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन किए गए.
Demonetisation is a key step in a chain of important decisions taken by govt to formalise the economy. Govt first targeted the black money outside India. Asset holders were asked to bring this money back on payment of penal tax: FM on two years of #Demonetisation (file pic) (1/2) pic.twitter.com/boYhcLPxRy
— ANI (@ANI) November 8, 2018
RBI ने नष्ट किए पुराने नोट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सूचना के अधिकार (RTI) के एक सवाल के जवाब में बताया है कि नोटबंदी के बाद वापस आए कुल 15,310.73 अरब रुपये मूल्य के पुराने बैंक नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया इस वर्ष मार्च के आखिर में खत्म हो चुकी है.
107 अरब रुपये के नोट नहीं आए वापस
RTI के तहत यह भी बताया गया कि आठ नवंबर 2016 को जब नोटबंदी (demonetization) की घोषणा की गयी, तब RBI के सत्यापन और मिलान के मुताबिक 500 और 1,000 रुपये के कुल 15,417.93 अरब रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. नोटबंदी (demonetization) के बाद इनमें से 15,310.73 अरब रुपये मूल्य के नोट बैंकिंग प्रणाली में लौट आये. केवल 107 अरब रुपये के नोट ही वापस नहीं आए.
Source : News Nation Bureau