भारत 21वीं सदी में दुनिया की आर्थिक अगुवाई कर सकता है अगर वह विभिन्न क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर की कंपनियां अपनी जमीन पर विकसित करने में कामयाब हो जाए। केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा ने शनिवार को यहां यह बातें कही।
उन्होंने कहा, 'क्योंकि अगर हम उस पैमाने, गुंजाइश और आकार की कंपनियां बनाने में सफल होते हैं तभी हम आर्थिक अगुआ बन सकेंगे। इसी तरीके से हम हमारे लोगों के लिए आर्थिक अवसरों का सृजन कर पाएंगे। यह विशाल कंपनियां समूचे क्षेत्र को आगे बढ़ा सकती है और करोड़ों नौकरियां पैदा कर सकती है, जिससे हमारा सकल घरेलू उत्पाद 2,500 करोड़ डॉलर से बढ़कर 5,000 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी।'
यहां चल रहे इंडिया आइडिया कानक्लेव में नागरिक विमानन राज्यमंत्री ने कहा कि भारत में दुनिया के छह अरब लोगों के एक उद्यमी इंजन बनने की क्षमता है।
उन्होंने कहा, 'और जब तक हम उस आकार और स्तर की कंपनियों का निर्माण नहीं करेंगे, हम कभी भी नेतृत्वकारी स्थिति में नहीं आ पाएंगे। मैं जब 100 अरब डॉलर की बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनियों की बात करता हूं तो मुझे यकीन है कि आप सभी संदेहपूर्ण होंगे।'
मंत्री ने कहा कि भारत के खुद के गूगल, फेसबुक, अलीबाबा और टेनसेंट्स अपनी मिट्टी पर बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि जब टीसीएस (टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज) की बाजार हिस्सेदारी 250 अरब डॉलर के आईटी-बीपीओ क्षेत्र में 70-75 अरब डॉलर की हो सकती है, तो कोई कारण नहीं है कि अन्य कंपनियां भी इस स्तर तक नहीं पहुंच पाएं।
उन्होंने कहा, 'हमें केवल एक क्षेत्र में ऐसी बड़ी कंपनी की जरूरत नहीं है। हमें ऐसे 5-10 क्षेत्र चाहिए। हमें टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियों के गठन की जरूरत है. ताकि हम अपनी अर्थव्यवस्था को 21वीं सदी में अगुवा बना सकें।'
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Source : IANS