एच1बी वीजा से जुड़े नियमों में बदलाव किए जाने को लेकर अमेरिकी कांग्रेस की तरफ से बिल पेश किए जाने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारतीय आईटी इंडस्ट्री के पक्ष में उतर आई हैं।
एच1बी वीजा के आधार पर ही भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों में काम करते हैं। ममता ने कहा, 'भारत को अपने विश्वस्तरीय आईटी टैलेंट पर गर्व है और उनके हितों की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।'
ममता ने कहा, 'एच1बी वीजा को लेकर आ रही खबर चिंताजनक है। हमें निश्चित तौर पर हमारी आईटी कंपनियों और प्रोफेशनल्स का साथ देना होगा। उन्हें हमें पूरा समर्थन देना होगा।'
एच1बी वीजा में बदलाव की घोषणा किए जाने को लेकर अभी तक मोदी सरकार ने कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। अमेरिकी कांग्रेस में बिल पेश होने के बाद भारत की आईटी कंपनियों बेहद दबाव में हैं। ट्रंप के बयान के बाद भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट जारी है।
ट्रंप अगर एच1बी वीजा नियमों में बदलाव किए जाने वाले बिल को पास कराने में सफल होते हैं तो इससे इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और एपल जैसी कंपनियों में भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स की नियुक्ति पर भी असर पड़ेगा।
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भारतीय आईटी कंपनियों का आधे से अधिक रेवेन्यू अमेरिका से ही आता है. बिल में अमेरिकी कंपनियों पर बाहरी लोगों की नियुक्ति करने पर न्यूनतम मजदूरी को दोगुना करने का प्रस्ताव रखा गया है।
क्या है एच1बी वीजा?
एच1बी वीजा विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए जारी किया जाता है। अमेरिका हर साल करीब 65000 ऐसे वीजा जारी करता है जो वैज्ञानिक, इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर के लिए होते हैं।
ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि इस तरह के वीजा दिए जाने से अमेरिकी लोगों की नौकरियों विदेशी लोगों के हाथों में जा रही है। उन्होंने इस पर रोक लगाने का वादा किया था। राष्ट्रपित बनने के बाद ट्रंप ने नियमों में बदलाव किए जाने को लेकर अमेरिकी कांग्रेस में बिल पेश कर दिया है।
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HIGHLIGHTS
- एच1बी वीजा में ट्रंप के बदलाव की घोषणा के खिलाफ बंगाल की मुख्यमंत्री ने खोला मोर्चा
- ममता ने कहा, भारत का आईटी टैलेंट विश्वस्तरीय, इसके हितों की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी
Source : News Nation Bureau