What Is Gross Domestic Product: जीडीपी यानि ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडक्ट, जिसे प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है. जीडीपी के घटने- बढ़ने की खबरें तो आपने भी अक्सर सुनी होंगी लेकिन अक्सर इसे अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक भारी- भरकम शब्द मान इसे ज्यादा समझने का प्रयास नहीं किया होगा. अगर आप भी अभी तक जीडीपी का गणित नहीं समझ पाए हैं तो आपको इस खबर को पढ़ना चाहिए. इस आर्टिकल में आपको जीडीपी के बारे में आसान भाषा में समझाने की कोशिश करेंगे.
देश की अर्थव्यवस्था को परिभाषित करती है जीडीपी रेट
जीडीपी की दर देश की अर्थव्यवस्था को परिभाषित करता है. जीडीपी के बढ़ने का अर्थ देश की मजबूत होती अर्थव्यवस्था से लिया जाता है. जीडीपी का बढ़ना ना सिर्फ देश की सरकार के लिए अच्छे संकेत होते हैं बल्कि देश की जनता की के लिए भी अच्छी खबर होती है. जीडीपी का सीधा अर्थ किसी देश द्वारा एक निर्धारित समय (एक वित्त वर्ष) में उत्पादित सेवाओं और वस्तुओं की कुल बाजार मूल्य से होता है. जीडीपी के बढ़ने का मतलब देश के अलग- अलग सेक्टर में प्रोडक्शन का बढ़ना होता है. प्रोडक्शन का बढ़ना अच्छी ग्रोथ को दर्शाता है. ज्यादा प्रोडक्शन होने से लोगों की जरूरत काम के लिए बढ़ जाती है. जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ने लगते हैं. वहीं देश की सरकार को जीडीपी के बढ़ने से टैक्स के रूप में कमाई होती है.
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साल में चार बार यानि हर तीन महीने में होती है गणना
जीडीपी के आंकडे़ आर्थिक गतिविधियों को दिखाते हैं. देश में इन आंकड़ों को तिमाही आधार पर पेश किया जाता है यानि साल में चार बार देश की अर्थव्यवस्था की रिपोर्ट जीडीपी के जरिए पेश होती है. जनता के लिए जीडीपी की रिपोर्ट सरकार द्वारा लिए गए फैसलों और नीतियों का लेखा- जोखा भी होता है. भारत में जीडीपी के आंकड़े सेंट्रल स्टैटिस्टिक्स ऑफ़िस (Central Statistics Office) द्वारा पेश किए जाते हैं.