Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP): मौजूदा समय में RCEP को लेकर हरतरफ चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आसियान (ASEAN) देशों के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते RCEP यानी रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप में शामिल नहीं होने की घोषणा कर दी है. उन्होंने उसे अपनी अंतरात्मा की आवाज पर लिया गया फैसला बताया है. दरअसल, बैंकॉक में होने वाले आरसीईपी सम्मेलन में भारत के हिस्सा लेने की बात आई तो हर तरफ यह कयास लगाए जाने लगे कि भारत इस समझौते में शामिल होगा या नहीं. वहीं भारत ने अब साफ कर दिया है कि वह इस समझौते में शामिल नहीं होगा.
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क्या है आरसीईपी (RCEP) का गणित
16 देशों के बीच होने वाला मुक्त व्यापार समझौता आरसीईपी (RCEP) कहलाता है. इस समझौते के तहत एक दूसरे के देश में मुक्त व्यापार किया जा सकता है. इसके अलावा इन देशों के आपस में व्यापार में टैक्स कटौती और अन्य तरह के आर्थिक छूट भी दिया जाता है. 16 देशों में 10 आसियान देश और 6 वह देश हैं जिनका आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता है. मुक्त व्यापार समझौता वह समझौता है जिसके तहत दो या दो से अधिक देशों के बीच एक्सपोर्ट (Export) और इंपोर्ट (Import) को आसान बनाया जा सके.
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इंटिग्रेटेड मार्केट बनाने पर जोर
RCEP के तहत 16 देशों के बीच एक इंटिग्रेटेड मार्केट को भी बनाने की बात है, जिसके जरिए इन देशों में व्यापार आसान हो जाएगा. समझौते में उत्पाद और सेवा, निवेश, आर्थिक और तकनीकी सहयोग, विवादों का निपटारा, ई कॉमर्स, बौद्धिक संपदा और छोटे-बड़े उद्योग शामिल हैं. बता दें कि वर्ष 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय यह समझौता अमल में आया था. इस समझौते के बाद चीन और मलेशिया को उत्पाद शुल्क मुक्त 90 फीसदी से अधिक वस्तुओं के इंपोर्ट की अनुमति दी गई.
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2014 तक चीन ने भारत को करीब 44 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया. मौजूदा समय में मोदी सरकार ने इस इंपोर्ट को घटाकर 37 अरब अमेरिकी डॉलर तक कर दिया. गौरतलब है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा हस्ताक्षरित RCEP और FTA (मुक्त व्यापार समझौते) की वजह से RCEP देशों से भारत का व्यापार घाटा 2004 में 7 अरब डॉलर से बढ़कर 2014 में 78 अरब डॉलर हो गया.