जनवरी में थोक महंगाई 10 महीने के निचले स्तर पर, सूचकांक (WPI) गिरकर 2.76 फीसदी पर आया

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के दिसंबर के आंकड़े को संशोधित कर 2.11 प्रतिशत कर दिया गया है.

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Deepak Kumar
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जनवरी में थोक महंगाई 10 महीने के निचले स्तर पर, सूचकांक (WPI) गिरकर 2.76 फीसदी पर आया

थोक मंहगाई दर हुआ कम (फाइल फोटो)

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थोक महंगाई दर जनवरी में 10 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. जनवरी में थोक महंगाई सूचकांक (WPI) गिरकर 2.76 फीसदी पर आ गया. इससे पहले दिसंबर में थोक महंगाई दर 3.8 फीसदी और जनवरी 2018 में 3.02 फीसदी पर दर्ज किया गया था. सरकार की ओर से बृस्पतिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च, 2018 के 2.74 प्रतिशत के बाद जनवरी, 2019 में थोक मुद्रास्फीति अपने न्यूनतम स्तर पर है.

आंकड़ों के अनुसार दिसंबर की तुलना में जनवरी में आलू, प्याज, फल और दूघ के थोक भाव में कमी दर्ज की गयी. लेकिन इस दौरान कुल मिलाकर खाद्य वर्ग के थोक मूल्य सालाना आधार पर 2.34 प्रतिशत ऊंचे रहे. दिसंबर, 2018 में खाद्य जिंसों के थोक भाव में सालाना आधार पर 0.07 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गयी थी.

इससे पहले जारी आंकड़ों में जनवरी की खुदरा मुद्रास्फीति हल्की घटकर 2.05 प्रतिशत पर आ गयी. आलोच्य माह में ईंधन एवं बिजली वर्ग में थोक मूल्य मुद्रास्फीति तेजी से गिरकर 1.85 प्रतिशत पर गयी. दिसंबर में इस वर्ग के दाम सालाना आधार पर 8.34 प्रतिशत ऊपर थे.

पीटीआई के मुताबिक यह गिरावट डीजल, पेट्रोल और एलपीजी की कीमतों के घटने से है. विनिर्मित वस्तुओं के वर्ग में भी कुल मिलाकर थोक भाव जनवरी में घटे. वैसे इस वर्ग में चीनी और परिधानों के भाव में तेजी रही.

मुद्रास्फीति का दबाव कम होने से रिजर्व बैंक की नीतिगत दर में कमी की संभावना बढ़ी है.

गौरतलब है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति के दिसंबर के आंकड़े को संशोधित कर 2.11 प्रतिशत कर चुका है. प्ररंभिक आंकडों में इसके 2.19 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था. पिछले साल जनवरी में देखा जाए तो खुदरा मुद्रास्फीति 5.07 प्रतिशत थी. 

महंगाई में नरमी जहां सरकार के लिए राहत का कारण है, वहीं औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती ने उसकी चिंता बढ़ा दी है. औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर दिसंबर 2018 में 2.4 फीसदी रही है. विनिर्माण और खनन क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से यह कमी आई है. दिसंबर 2017 में औद्योगिक उत्पादन दर 7.3% थी और इस लिहाज से यह एक साल में एक तिहाई रह गई है. अप्रैल-दिसंबर 2018-19 के बीच उत्पादन दर 4.6 %रही जो, पिछले साल इसी अवधि में 3.7%रही.

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विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि की बात करें तो दिसंबर 2018 में 2.7% रहा, जबकि दिसंबर 2017 में यह 8.7% पर था. 

एजेंसी इनपुट्स के साथ...

Source : News Nation Bureau

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