कारोबार जगत में साल 2017 की सबसे बड़ी घटना वस्तु एंव सेवाकर (जीएसटी) का लागू होना रहा। देश की आज़ादी के 70 साल बाद 1 जुलाई 2017 को, देश को करों के जंजाल से एक बड़ी आज़ादी मिली।
संसद भवन के सेंट्रल हॉल से 30 जून की रात 11-12.10 तक चलने वाले ख़ास कार्यक्रम से देश के सबसे बड़े कर सुधार, जीएसटी का आगाज़ हुआ।
यह साल 2017 की बड़ी घटना थी जब संसद के सेंट्रल हॉल में आधी रात सभी पार्टियां एक साथ खड़ी थी और विभिन्न तरह के करों से आज़ादी की जगह एक देश, एक कर, एक बाज़ार के लिए जीएसटी को लाया गया।
इसके बाद आर्थिक मोर्चे पर कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। जीएसटी के लागू होने के बाद करों का जंजाल ख़त्म हुआ और एक कर (जीएसटी) के चलते व्यवस्था आसान हुई।
विकास दर में गिरावट
जीएसटी और नोटबंदी जैसे कदमों के चलते विकास दर में गिरावट दर्ज हुई और वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह तीन साल के निम्नतम स्तर 5.7 फीसदी पर आ गई थी। हालांकि इसके बाद तीसरी तिमाही में इसमें कुछ सुधार हुआ और यह जुलाई-सितंबर में बढ़कर 6.3 फीसदी दर्ज की गई।
जीएसटी जैसे बड़े कर सुधार का दुनिया के कई देशों ने स्वागत किया लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के लड़खड़ाने की आशंका भी व्यक्त की थी और भारत के विकास दर में कटौती (6-7 फीसदी) का अनुमान भी जताया था।
ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस
हालांकि बाद में तीसरी तिमाही में विकास दर में सुधार के बाद भारत की स्थिति में दुनिया के नज़रिए में बदलाव आया। वर्ल्ड बैंक की ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस लिस्ट में भारत की 30 पायदान ऊपर उठकर 100 पर आ गया। इससे मोदी सरकार को बड़ी राहत मिली।
13 साल मूडीज़ ने भारत की रेटिंग बढ़ाई
इसके बाद मूडीज़ ने 13 साल बाद भारत की सावरेन रेटिंग एजेंसी में इज़ाफा किया और इसे बीएए3 से सुधार कर बीएए2 का दर्जा दे दिया। हालांकि स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ने भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया और 'बीबीबी-माइनस' आउटलुक को स्थाई रखा।
इससे मोदी सरकार को ज़रुर झटका लगा लेकिन बावजूद इसके मोदी सरकार जीएसटी को एक ऐतिहासिक कदम मानती है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने एक बयान में कहा, 'नोटबंदी के बाद वित्तीय व्यवस्था में मजबूती के संकेत मिल रहे हैं।'
वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त मंत्रालय के लिए यह एक ऐतिहासिक साल था। इस साल मूडीज रेटिंग एजेंसी ने 13 साल के अंतर के बाद भारत की सॉवरेन रेटिंग में इजाफा किया और विश्व बैंक की ईज़ ऑफ डूईंग बिज़नेस में 30 अंकों की बढ़त से मजबूती मिली है।
हालांकि हाल ही में आए नवंबर महीने के जीएसटी से जुटे राजस्व में कटौती से ज़रुर निराशा है। नवंबर में सरकार को जीएसटी से 80,808 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जबकि अक्टूबर महीने में यह आंकड़ा 83,000 करोड़ रुपये था। नवंबर आंकड़ा अब तक का सबसे कम दर्ज किया गया है।
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Source : Shivani Bansal