गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking): सोने के गहनों (Gold Jewellery) की खरीदारी में अब धोखाधड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी, क्योंकि 1 जून 2021 से देश में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की हॉलमार्किंग के ही आभूषण बिकेंगे. बता दें कि अप्रैल महीने में केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव लीना नंदन ने कहा था कि कोरोना संक्रमण की वजह से सोने के गहने व कलाकृतियों पर बीआईएस हॉलमार्किंग (BIS Hallmarking) अनिवार्यता एक जून से लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी, क्योंकि कोरोना काल में भी इसकी तैयारी लगातार चलती रही है. लीला नंदन ने कहा कि बीआईएस हॉलमार्किंग की अनिवार्यता जनवरी 2021 में ही लागू होने वाली थी, जिसे कोविड की वजह से ही आगे बढ़ाकर 1 जून 2021 कर दिया गया जिससे ज्वैलर्स को तैयारी के लिए काफी समय मिल गया. उन्होंने कहा कि ज्वैलर्स भी इसके लिए अब तैयार हैं, क्योंकि उनकी ओर से इस तिथि को आगे बढ़ाने को लेकर इधर कोई मांग नहीं आई है.
यह भी पढ़ें: जानिए आपके शहर में आज किस दाम पर मिल रहा है पेट्रोल-डीजल, चेक करें नए रेट
22 कैरट, 18 कैरट और 14 कैरट के सोने गहने व कलाकृतियां बिकेंगी
देश में आगामी जून महीने से सिर्फ 22 कैरट, 18 कैरट और 14 कैरट के सोने गहने व कलाकृतियां बिकेंगी जिनमें बीआईएस की हॉलमार्किंग होगी. सोने के गहनों व कलाकृतियों पर हॉलमार्क अनिवार्यता लागू करने की समयसीमा 15 जनवरी 2021 से बढ़ाकर एक जून 2021 करते हुए पिछले साल तत्कालीन केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री दिवंगत राम विलास पासवान ने उस समय कहा था कि कोरोना महामारी के कारण आभूषण कारोबारियों को दिक्कतें आ रही हैं, इसलिए हॉलमार्किंग की अनिवार्यता लागू करने की समय सीमा बढ़ाकर जून कर दी गई है.
CAIT ने समयसीमा बढ़ाने की मांग की
CAIT ने पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखकर इसकी समयसीमा को बढ़ाने की मांग की है. कैट ने कहा है कि 1 जून से नियम लागू होने की वजह से ज्वैलर्स को नुकसान होगा. कैट का कहना है कि मौजूदा समय में पर्याप्त मात्रा में हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है. ऐसे में 1 जून से नियम लागू होने की वजह से छोटे व्यापारियों को कारोबार बंद करना पड़ सकता है.
हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है
बता दें कि हॉलमार्किंग वह तरीका है जिससे सोने की शुद्धता प्रमाणित होती है. भारतीय स्टैंडर्ड को गोल्ड में मार्क करने को हॉलमार्किंग कहा जाता है. कैरेट के जरिए भारतीय स्टैंडर्ड को सोने के ऊपर अंकित किया जाता है. बगैर हॉलमार्किंग के गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) खरीदने पर अगर उसे बेचने जा रहे हैं तो आपको कम भाव मिल सकता है. दरअसल, आपके पास सोने की शुद्धता का कोई भी सर्टिफिकेट नहीं है इसलिए हो सकता है कि जब आप 22 कैरेट की ज्वैलरी को बेचने जा रहे हों तो आपकी ज्वैलरी 18 कैरेट की निकल आए. ऐसे में आपको मोटा नुकसान हो सकता है. इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए हॉलमार्किंग कराना बेहद जरूरी है.
यह भी पढ़ें: कोरोना काल में LIC ने आम आदमी को दी बड़ी राहत, क्लेम मिलना हुआ आसान
क्या हैं हॉलमार्किंग के नियम
मौजूदा समय में हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है. हालांकि सरकार इसको जरूरी करने के लिए जल्द कानून लाने की तैयारी कर रही है. बता दें कि अभी हॉलमार्किंग सेंटर कम होने की वजह से देशभर में इसे जरूरी नहीं किया गया है. देश में BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट देता है. सोने की हॉलमार्किंग के लिए अभी फिलहाल तीन ग्रेड तय हैं. 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट तीन ग्रेड तय किए गए हैं.
खरीदार कैसे पहचानें हॉलमार्क
हॉलमार्क वाली ज्वैलरी पर BIS का मुहर लगा रहता है. इसके अलावा हॉलमार्क के वर्ष का भी जिक्र होता है. सोने की शुद्धता की कैरेट बताने के लिए सोने पर K लिखा होता है. 22K का मतलब 91.6 फीसदी प्योरिटी यानी 916 गोल्ड, 24 कैरेट यानी 99.9 फीसदी शुद्धता, 23 कैरेट में 95.8 फीसदी शुद्धता, 22 कैरेट यानी 91.6 फीसदी शुद्धता, 21 कैरेट यानी 87.5 फीसदी की शुद्धता, 18 कैरेट यानी 75 फीसदी की शुद्धता, 17 कैरेट यानी 70.8 फीसदी की शुद्धता और 14 कैरेट यानी 58.5 फीसदी की शुद्धता होती है.
HIGHLIGHTS
- 1 जून 2021 से देश में भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की हॉलमार्किंग के ही आभूषण बिकेंगे
- बीआईएस हॉलमार्किंग अनिवार्यता एक जून से लागू करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी