सोने-चांदी (Gold-Silver) या बुलियन मार्केट (Bullion Market) में निवेश से पहले उसकी चाल कैसी रहने वाली है उसकी जानकारी का होना किसी भी ट्रेडर (Trader) के लिए बहुत जरूरी है. दरअसल, उसकी जानकारी होने पर ही ट्रेडर सोने-चांदी में खरीदारी या बिकवाली की रणनीति बना सकता है और ऐसा करने पर ट्रेडर को फायदा ज्यादा से ज्यादा और नुकसान बेहद कम होता है. आज की इस रिपोर्ट में हम सोने-चांदी की मार्केट को प्रभावित करने वाले कारणों की चर्चा करके समझने की कोशिश करते हैं.
यह भी पढ़ें: टेलीकॉम इंडस्ट्री में घमासान, एक दूसरे के कस्टमर तोड़ने के लिए कंपनियां कर रही हैं ये काम
मंदी के समय कैसी रहती है सोने की चाल
दुनियाभर में जब भी मंदी का माहौल रहता है तो सोने-चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है. दरअसल, सोने को सुरक्षित निवेश के तौर पर सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है. यही वजह है कि जब सभी एसेट क्लास में मंदी का रुख रहता है तो सोने की कीमतों में तेजी दर्ज की जाती है. सोने को मुश्किल समय का साथी भी कहा जाता है. वहीं इसके विपरीत अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ने पर सोने के दाम में गिरावट देखने को मिलती है. दरअसल, उस समय लोग सोने के बजाए दूसरे एसेट क्लास (जैसे म्यूचुअल फंड, शेयर मार्केट, बॉन्ड्स) में पैसा लगाने लग जाते हैं.
यह भी पढ़ें: जानिए क्यों RBI गवर्नर ने बैंकों से कहा मुस्तैद रहने का समय आ गया है
महंगाई और सोने का संबंध
महंगाई (Inflation) और सोने का भी एक बेहज अहम रिश्ता है. जब भी महंगाई बढ़ती है तो करेंसी की कीमत घट जाती है. ऐसे में कमजोर करेंसी की वजह से सोने की कीमत बढ़ जाती है. ऊंची महंगाई की वजह से लोग सोने को इकट्ठा करना शुरू कर देते हैं. जानकारों का कहना है कि सोने के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल को बढ़ाकर महंगाई के असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें: आम आदमी को राहत, दिल्ली में पिछले हफ्ते से 23 फीसदी घट गए प्याज के दाम
ब्याज दर और सोने में क्या है संबंध
सोना और ब्याज दर के बीच विपरीत संबंध है. दरअसल, जब भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है तो ऐसा माना जाता है अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहतर है. बता दें कि महंगाई को काबू में रखने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी की जाती है. यही वजह है कि जब ब्याज दरें बढ़ाई जाती है तो लोग सोने में निवेश कम करना शुरू कर देते हैं. दरअसल, अधिक ब्याज की वजह से लोग बैंक में पैसा रखना शुरू कर देते हैं. यही वजह है कि उस समय सोने में गिरावट का रुख देखने को मिलता है. वहीं इसके विपरीत ब्याज दरें घटने पर मार्केट में करेंसी का प्रवाह बढ़ जाता है, जिसकी वजह से सोने की खरीद के लिए ज्यादा पैसा देना पड़ जाता है. इस स्थिति में सोने में तेजी का रुख देखने को मिलता है.
करेंसी में उतार-चढ़ाव का असर
करेंसी में उतार-चढ़ाव का असर सोने-चांदी की कीमतों पर साफतौर पर देखने को मिलता है. मान लीजिए अगर रुपया कमजोर होता है तो सोने में तेजी आएगी. मतलब यह हुआ कि सोने की खरीद के लिए आपको ज्यादा रुपया खर्च करना होगा. इसके अलावा चूंकि सोने का इंपोर्ट करने के लिए भुगतान डॉलर में होता है. ऐसे में अगर रुपये में कमजोरी आती है तो इंपोर्ट महंगा हो जाता है. वहीं दूसरी ओर रुपये में मजबूती की वजह से इंपोर्ट सस्ता हो जाता है. वहीं विदेशी बाजार में डॉलर के मूवमेंट की बात करें तो वैश्विक मार्केट में सोने की ट्रेडिंग डॉलर में होती है. ऐसे में अगर अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है तो सोने की कीमत बढ़ जाती है.
यह भी पढ़ें: Gold Rate Today 12 Dec 2019: आज बढ़ सकते हैं सोना-चांदी के भाव, जानिए बेहतरीन ट्रेडिंग टिप्स
शेयर बाजार और सोने का आपस में संबंध
दरअसल, शेयर बाजार और सोने का आपस में सीधा संबंध नहीं है. हालांकि ऐसा देखा गया है कि जब भी शेयर बाजार में भारी गिरावट आती है तो निवेशक सोने और चांदी में निवेश के लिए रुख करते हैं. वहीं जब शेयर बाजार में तेजी आती है तो निवेशक उसकी तेजी का फायदा उठाने के लिए सोने से निकलकर इक्विटी की ओर बढ़ जाते हैं.
Source : धीरेंद्र कुमार