गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold Hallmark): सोने (Gold Price Today) की खरीदारी करते समय इस बात की टेंशन रहती है कि वो शुद्ध है या नहीं. सोने की शुद्धता की परख करना खरीदारों के लिए सबसे मुश्किल भरा काम है. मौजूदा समय में हॉलमार्किंग को लेकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार काफी काम कर रही है. बता दें कि अभी शहरों में हॉलमार्क वाली ज्वैलरी तो आसानी से मिल जाती है, लेकिन गांवों में आज भी इसको लेकर जागरुकता का अभाव है. गांवों में आज भी 24 कैरेट सोने के नाम पर खरीदारों को 18 कैरेट और 14 कैरेट सोना थमा दिया जाता है. आज की इस रिपोर्ट में हम हॉलमार्किंग से जुड़ी हर वो छोटी बड़ी बात और कैरेट कैसे तय होता है इसकी जांच परख करने की कोशिश करेंगे.
यह भी पढ़ें: धनतेरस (Dhanteras) के मौके पर इन 5 तरीके से आप खरीद सकते हैं सोना
हॉलमार्किंग क्यों जरूरी है
बता दें कि हॉलमार्किंग वह तरीका है जिससे सोने की शुद्धता प्रमाणित होती है. भारतीय स्टैंडर्ड को गोल्ड में मार्क करने को हॉलमार्किंग कहा जाता है. कैरेट के जरिए भारतीय स्टैंडर्ड को सोने के ऊपर अंकित किया जाता है. बगैर हॉलमार्किंग के गोल्ड ज्वैलरी (Gold Jewellery) खरीदने पर अगर उसे बेचने जा रहे हैं तो आपको कम भाव मिल सकता है. दरअसल, आपके पास सोने की शुद्धता का कोई भी सर्टिफिकेट नहीं है इसलिए हो सकता है कि जब आप 22 कैरेट की ज्वैलरी को बेचने जा रहे हों तो आपकी ज्वैलरी 18 कैरेट की निकल आए. ऐसे में आपको मोटा नुकसान हो सकता है. इन्हीं सब दिक्कतों को देखते हुए हॉलमार्किंग कराना बेहद जरूरी है.
यह भी पढ़ें: धनतेरस (Dhanteras 2019) पर सोना चांदी (Gold Silver) खरीदते वक्त रखें इन बातों का ध्यान, बचेंगे पैसे
क्या हैं हॉलमार्किंग के नियम
मौजूदा समय में हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है. हालांकि सरकार इसको जरूरी करने के लिए जल्द कानून लाने की तैयारी कर रही है. बता दें कि अभी हॉलमार्किंग सेंटर कम होने की वजह से देशभर में इसे जरूरी नहीं किया गया है. देश में BIS यानी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेट देता है. सोने की हॉलमार्किंग के लिए अभी फिलहाल तीन ग्रेड तय हैं. 14 कैरेट, 18 कैरेट और 22 कैरेट तीन ग्रेड तय किए गए हैं.
यह भी पढ़ें: Gold Price Today 25 Oct 2019: धनतेरस के मौके पर सोने-चांदी में तेजी के संकेत, जानें बेहतरीन ट्रेडिंग टिप्स
इसके अलावा ये तीनों ग्रेड अभी सिर्फ स्वैच्छिक हैं. बता दें कि निवेशकों को सोना खरीदते समय हॉलमार्क वाले भारतीय मानक ब्यूरो यानी BIS के तिकोने निशान को जरूर देख लेना चाहिए. बता दें कि ज्वैलरी या सोने पर हॉलमार्किंग सेंटर के लोगो के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. इसके अलावा ज्वैलरी किस साल बनी है वो साल और बनाने वाले का भी लोगो भी लगा होता है.
यह भी पढ़ें: Dhanteras Diwali Offer 2019: इस साल सोने ने निवेशकों को किया मालामाल, मिला इतना रिटर्न
खरीदार कैसे पहचानें हॉलमार्क
हॉलमार्क वाली ज्वैलरी पर BIS का मुहर लगा रहता है. इसके अलावा हॉलमार्क के वर्ष का भी जिक्र होता है. सोने की शुद्धता की कैरेट बताने के लिए सोने पर K लिखा होता है. 22K का मतलब 91.6 फीसदी प्योरिटी यानी 916 गोल्ड, 24 कैरेट यानी 99.9 फीसदी शुद्धता, 23 कैरेट में 95.8 फीसदी शुद्धता, 22 कैरेट यानी 91.6 फीसदी शुद्धता, 21 कैरेट यानी 87.5 फीसदी की शुद्धता, 18 कैरेट यानी 75 फीसदी की शुद्धता, 17 कैरेट यानी 70.8 फीसदी की शुद्धता और 14 कैरेट यानी 58.5 फीसदी की शुद्धता होती है.