Sovereign Gold Bond Scheme 2020-21-Series III: सॉवरेन गोल्ड बांड (Sovereign Gold Bond) के लिए निर्गम मूल्य 4,677 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है. रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने बयान जारी करके यह जानकारी दी है. सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2020-21 श्रृंखला-तीन आठ जून को खुलकर 12 जून को बंद होगी. केंद्रीय बैंक ने अप्रैल में कहा था कि सरकार 20 अप्रैल से सितंबर तक छह किस्तों में सॉवरेन गोल्ड बांड जारी करेगी.
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ऑनलाइन आवेदन और डिजिटल भुगतान करने पर 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट
सॉवरेन गोल्ड बांड 2020-21 (Gold Price Today) भारत सरकार (Government of India) की ओर से रिजर्व बैंक (RBI) जारी करेगा. सरकार ने ऑनलाइन आवेदन करने और डिजिटल भुगतान करने वाले निवेशकों को 50 रुपये प्रति ग्राम की छूट देने का फैसला किया है. ऐसे निवेशकों के लिए बांड का निर्गम मूल्य 4,627 रुपये प्रति ग्राम बैठेगा. बता दें कि सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना नवंबर 2015 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य भौतिक सोने की मांग को कम करना और घरेलू बचत का एक हिस्सा सोना की खरीद के लिए इस्तेमाल करना था.
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यहां से खरीदें सस्ता सोना यानि गोल्ड बॉन्ड
गोल्ड बॉन्ड की बिक्री स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (Stock Holding Corporation of India-SHCIL), चुनिंदा पोस्ट ऑफिस (Post Office), बैंकों, NSE और BSE के जरिए की जाती है. निवेशक इनमें से किसी भी एक जगह से गोल्ड बॉन्ड की खरीदारी कर सकते हैं. गौरतलब है कि इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन लिमिटेड (IBJA) की ओर से पिछले 3 दिन 999 प्योरिटी वाले सोने के दाम के आधार पर गोल्ड बॉन्ड की कीमत तय होती है.
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न्यूनतम 1 ग्राम खरीद सकते हैं सोना
सरकार ने सोने की मांग को कम करने और घरेलू बचत के एक हिस्से को वित्तीय बचत में बदलने के उद्देश्य से सरकारी स्वर्ण बांड योजना की शुरुआत नवंबर 2015 में की थी. गोल्ड बॉन्ड में वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में प्रति व्यक्ति न्यूनतम निवेश एक ग्राम है, जबकि अधिकतम सीमा 500 ग्राम है. व्यक्तिगत और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए निवेश की अधिकतम सीमा 4 किलोग्राम और ट्रस्टों और संस्थाओं के लिए 20 किलोग्राम रखी गई है.
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गोल्ड बॉन्ड के क्या हैं फायदे
गोल्ड बॉन्ड पर सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलेगा. निवेशकों को कम से कम 1 ग्राम का बॉन्ड खरीदने की भी सुविधा मिलती है. निवेशकों को गोल्ड बॉन्ड के बदले लोन लेने की भी सुविधा है. पूंजी और ब्याज दोनों की सरकारी (सॉवरेन) गारंटी मिलती है. इंडिविजुअल को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा. कर्ज लेने के लिए गोल्ड बॉन्ड का इस्तेमाल कोलेट्रल के रूप में किया जा सकता है. साथ ही गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने पर टीडीएस (TDS) भी नहीं कटता है.