जी हां इस दिवाली में चीनी माल से लोगों ने किनारा कर लिया है. साथ में व्यापारी भी इस बार चीन के समान का आर्डर नहीं दिया है जिसकी वजह से चीन (China) का माल बॉर्डर पर ही ब्लॉक हो चुका है. कैट के बैनर तले देश का व्यापारी वर्ग चीन को इस वर्ष के दिवाली सीजन पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये का बड़ा झटका देने को तैयार हैं. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि हर साल भारत में दिवाली के मौके पर करीब 70 हजार करोड़ का कारोबार होता है. इसका करीब 60 फीसदी यानी करीब 40 हजार करोड़ रुपये का सामान बीते वर्षों में चीन से आयात होता आ रहा है.
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दिल्ली के बाजारों का न्यूज नेशन ने लिया जायदा
न्यूज नेशन ने दिल्ली में मौजूद एशिया के सबसे बड़े इलेक्ट्रॉनिक मार्केट्स में से एक नेहरू प्लेस का जायजा लिया है. नेहरू प्लेस में माल की कोई कमी नहीं है लेकिन माल चीन का नहीं बल्कि हिंदुस्तान का है. दीपावली के मौके पर भारत में कई तरह का सामान आते थे... जो इस बार बाजार से नदारत हैं... और भारतीय सामानों का बोलबाला है... मोदी सरकार की नीति और भारतीयों के मजबूत इरादों ने मेक इन इंडिया को मेड इन चाइना पर हावी कर दिया है...
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त्योहारी सामानों के साथ साथ चीन के खिलौनों की मांग भी इस साल लगभग खत्म हो चुकी है. भारत ने बाज़ार के लिए देश में बने अच्छे क्वालिटी के माल की सप्लाई तेज़ कर दी है. मेक इन इंडिया का मोर्चा खुलने के बाद भारतीय बाजार तो हमेशा की तरह गुलजार हैं लेकिन चीन कराह रहा है. न्यूज नेशन ने दिल्ली के खिलौना बाज़ार में भी हालातों का ग्राउंड इंवेस्टिगेशन की है. देश में त्योहारों के सीजन की शुरूआत चीन के लिए चांदी होती थी... लेकिन इस बार हिंदुस्तान के त्योहार चीन के लिए कमर तोड़ साबित हो रहा है. सस्ता होने की वजह से चीनी माल की दुनिया के ज्यादातर देशों में बहुत मांग होती थी लेकिन इस बार हालात बदल गए हैं. देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भारतीय सामानों की मांग बढ़ गई है.
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इस साल दिवाली से जुड़े देसी समानों जैसे दीये, बिजली की लड़ियां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, सजावटी मोमबत्तियां, सजावट के समान, रंगोली, शुभ लाभ के चिह्न, गिफ्ट आइटम से लेकर पूजन सामग्री, मिट्टी की मूर्तियां समेत कई उत्पाद भारतीय कारीगरों ने ही तैयार किया है... दिल्ली में सिर्फ नेहरू प्लेस या इक्का दुक्का बाजार नहीं... बल्कि राजधानी के सभी बड़े बाजारों से अब चीनी समान गायब होते जा रहे हैं... और चीन के लिए लिए ये बर्बादी का अल्टी मेटम है.