नोटबंदी से भारत को शॉर्ट टर्म में बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। 2008 में अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित मशहूर अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि भारत को नोटबंदी के फैसले से कोई बड़ा फायदा नहीं होने जा रहा है।
हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में बोलते हुए क्रुगमैन ने कहा, 'मैं नोटबंदी के मकसद को समझता हूं लेकिन इसे लागू करने का तरीका विध्वंसक है। मुझे नहीं लगता कि इससे लंबे समय में कोई फायदा होने जा रहा है। हालांकि इससे थोड़े समय के लिए फायदा होगा लेकिन उसकी कीमत चुकानी होगी।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को काला धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए 500 और 1000 रुपये के नोट को अमान्य घोषित कर दिया था। प्रधानमंत्री का कहना था कि 500 और 1000 रुपये के बड़े नोटों को बंद किए जाने से आतंकवाद की फंडिंग पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
नोटबंदी के फैसले के बाद करेंसी बाजार में मौजूद 86 फीसदी करेंसी बदली जाएगी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नोटबंदी के फैसले से उपभोक्ता मांग पर असर पड़ेगा। इसके अलावा बेहतर मानसून होने के बावजूद बीज और खाद की खरीद में होने वाली परेशानी से कृषि क्षेत्र को अलग से नुकसान होगा।
क्रुगमैन के पहले अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीत चुके अमर्त्य सेन ने भी नोटबंदी के फैसले की आलोचना करते हुए इसे तानाशाही भरा फैसला बताया था। उन्होंने कहा, 'सरकार का यह कदम अर्थव्यवस्था की जड़ो पर हमला है। नोटबंदी ने करेंसी को कमजोर किया और भरोसे की बुनियाद पर टिके अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर दिया है।'
नोटबंदी के बाद कई रेटिंग एजेंसियों ने भारत के जीडीपी अनुमान में कटौती की है। रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 7.4 फीसदी से घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। फिच से पहले मॉर्गन स्टैनली और बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने भी नोटबंदी के बाद मौजूदा वित्त वर्ष के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ अनुमान को घटा दिया था।
HIGHLIGHTS
- मशहूर अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा कि नोटबंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा नहीं होगा
- क्रुगमैन से पहले नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने भी नोटबंदी को निरंकुश फैसला बताया था
Source : News Nation Bureau