भारत कुछ सालों में अपने कृषि उत्पादों का निर्यात (Agriculture Export) बढ़ाकर 70 अरब डॉलर तक कर सकता है. यह बात एक उच्चस्तरीय समूह ने 15वें वित्त आयोग को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कही है. कृषि निर्यात पर 15वें वित्त आयोग द्वारा गठित उच्चस्तरीय समूह (एचएलईजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ वर्षों में भारत का कृषि निर्यात 40 अरब डॉलर से बढ़कर 70 अरब डॉलर तक जा सकता है. समूह के अनुसार, इनपुट, बुनियादी ढांचा, प्रसंस्करण और मांग में वृद्धि के मद्देनजर कृषि निर्यात के लिए आठ-10 अरब डॉलर का निवेश होने का अनुमान है और निर्यात में इस वृद्धि से 70 लाख से एक करोड़ नौकरियां पैदा हो सकती हैं.
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एचएलईजी ने आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपी
कृषि निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्यों को प्रदर्शन प्रोत्साहन देने और भारी आयात की भरपाई करने वाली फसलों को बढ़ावा दिए जाने की सिफारिश करते हुए समूह ने आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. काफी खोजबीन और विचार-विमर्श करने और हितधारकों व निजी क्षेत्र से राय लेने के बाद एचएलईजी ने आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपी हैं, जिनमें 22 फसल की वैल्यू-चेन और मांग पर आधारित रणनीति पर जोर दिया गया है. साथ ही, वैल्यू-एडीशन पर गौर करते हुए पूरे वैल्यू चेन क्लस्टर्स (वीसीसी) का समाधान निकालने की बात कही गई है. समूह ने हितधारकों की भागीदारी के साथ राज्य आधारित निर्यात योजना बनाने की सिफारिश की है और इसमें निजी क्षेत्र की अग्रणी भूमिका बताई गई है.
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समूह के अनुसार, केन्द्र को प्रोत्साहन देने वाले के रूप में करना चाहिए और वित्तपोषण व कार्यान्वयन को प्रोत्साहन देने के लिए एक मजबूत संस्थागत तंत्र की आवश्यकता बताई गई है. समूह ने अपनी रिपोर्ट में एक फसल वैल्यू चेन क्लस्टर के लिए एक राज्य आधारित योजना की सिफारिश की है, जिसमें इच्छित मूल्य श्रंखला निर्यात के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अवसर, पहलों और निवेश से संबंधित खाका खींचा जाएगा.