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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के लिए आनंद महिंद्रा का ट्वीट, लेकिन ये क्या हो गया

आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में मोबाइल से लगातार चिपके रहने वालों के लिए एक बड़ी बात कही है. वह अपने आप को भी इसमें शामिल करते हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में मशहूर कवि और गीतकार गुलज़ार की एक कविता के जरिए मोबाइल से चिपके रहने का जिक्र किया है.

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Dhirendra Kumar
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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों के लिए आनंद महिंद्रा का ट्वीट, लेकिन ये क्या हो गया

आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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देश के बड़े औद्योगिक घराने महिंद्रा समूह (Mahindra Group) के चेयरमैन आनंद महिंद्रा (Anand Mahindra) अपने ट्वीट (tweet) को लेकर आए दिन चर्चा में रहते हैं. महिंद्रा अपने ताज़ा ट्वीट को लेकर एक बार फिर चर्चा में हैं. दरअसल, आनंद महिंद्रा ने अपने ट्वीट में मोबाइल से लगातार चिपके रहने वालों के लिए एक बड़ी बात कही है. वह अपने आप को भी इसमें शामिल करते हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में मशहूर कवि और गीतकार गुलज़ार की एक कविता के जरिए मोबाइल से चिपके रहने का जिक्र किया है.

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आनंद महिंद्रा ने ट्वीट के जरिए गुलज़ार की एक कविता भी शेयर की
आनंद महिंद्रा ने ट्वीट के जरिए कहा है कि थैंक्यू यू गुलज़ार जी आपने मुझे अपने फोन से चिपके रहने के लिए एक तर्क दे दिया है. उन्होंने लिखा है कि वास्तव में मोबाइल हमें एकदूसरे से जुड़ने में मदद करता है. महिंद्रा ने ट्वीट के साथ ही गुलज़ार की एक कविता की तस्वीर भी शेयर की है. इस कविता में लिखा है कि ‘खुद से ज़्यादा संभाल कर रखता हूं मोबाइल अपना, क्योंकि रिश्ते सारे अब इसी में कैद हैं.’

हालांकि जैसा कि आपको पता है कि सोशल मीडिया पर आपकी एक गलती आप पर भारी पड़ सकती है तो यूजर्स यहां भी आ गए. उन्होंने ट्विटर पर आनंद महिंद्रा की तारीफ तो की लेकिन उन्हें यह भी बताया कि अमुक कविता गुलज़ार की नहीं है. कुछ यूजर्स का कहना है कि यह कविता गुलज़ार के नाम से फेसबुक पर वायरल हो गई है. महेश कुशवाहा नाम के एक यूजर ने कहा कि टेक्नोलॉजी हमारे कामों को आसान करने और सुविधाएं मुहैया कराने के लिए है, अत: इसे इन्हीं के लिए इस्तेमाल करें. इसकी खातिर अपनों को खुद से दूर न करें.

वहीं मनोज कुमार झा ने लिखा है कि ख़ामोश है जमाना सारा...चारो ओर बस मोबाइल का शोर है..!! गुलज़ार साहब अपनी नज़्मों में सीधे-सादे शब्दों से चौंका देने वाली तस्वीरें गढ़ते हैं और फिर कोसों लंबा सफ़र तय कर डालने का ढांढस मिलता है.’कुछ यूजर्स का कहना है कि यह कविता फेसबुक पर गुलज़ार के नाम से चल रही है, लेकिन यह गुलज़ार की नहीं है.

Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो

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