एसोचैम ने की पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की मांग, कहा-केंद्र और राज्यों के कर की वजह से बढ़ी दरें

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और रोजाना कीमतों में बदलाव किए जाने की व्यवस्था लागू किए जाने के बाद भी देश में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार आम आदमी के निशाने पर है।

author-image
Abhishek Parashar
एडिट
New Update
एसोचैम ने की पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती की मांग, कहा-केंद्र और राज्यों के कर की वजह से बढ़ी दरें

एसोचैम ने की पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की मांग (फाइल फोटो)

Advertisment

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट और रोजाना कीमतों में बदलाव किए जाने की व्यवस्था लागू किए जाने के बाद भी देश में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों को लेकर सरकार आम आदमी के निशाने पर है।

देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले 3 साल के अधिकतम स्तर पर है।

उपभोक्ताओं का मानना है कि पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स पर लगने वाले करों में बार-बार फेरबदल किए जाने की स्थिति में बाजार आधारित कीमतों की अवधारणा का कोई मतलब नहीं है।

जब कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं तो देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही है, जबकि 2014 के मई में कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर प्रति बैरल थी, उस वक्त अभी से सस्ता पेट्रोल मिल रहा था।

पिछले तीन महीनों में कच्चे तेल की कीमतें 45.60 रुपये प्रति बैरल से लेकर अभी तक 18 फीसदी बढ़ी है, जिसका नतीजा है कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 65.40 रुपये से बढ़कर 70.39 रुपये तक पहुंच गई है।

यह बढ़ोतरी कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी की तुलना में कम है। लेकिन साल 2014 के मई में कच्चे तेल की कीमत 107 रुपये प्रति बैरल पहुंच जाने के बाद भी दिल्ली में 1 जून 2014 को पेट्रोल की कीमत 71.51 रुपये प्रति लीटर थी।

एसोचैम के नोट में कहा गया, 'जब कच्चे तेल की कीमत 107 डॉलर प्रति बैरल थी, तो देश में यह 71.51 रुपये लीटर बिक रही थी। अब जब यह घटकर 53.88 डॉलर प्रति बैरल आ गई है तो उपभोक्ता तो यह पूछेंगे ही कि अगर बाजार से कीमतें निर्धारित होती है तो इसे 40 रुपये लीटर बिकना चाहिए।'

मोदी के मंत्री अल्फोंस का बेतुका बयान, 'पेट्रोल-डीजल खरीदने वाले भूखे तो नहीं मर रहे'

इसमें कहा गया है कि हालांकि कीमतों को बाजार पर छोड़ा गया है, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लिए जानेवाले उत्पाद कर और बिक्री कर या वैट में तेज बढ़ोतरी के कारण सुधार का कोई मतलब नहीं रह गया है। 

एसोचैम के महासचिव डी एस रावत ने कहा, 'उपभोक्ताओं की कोई गलती नहीं है। क्योंकि सुधार एकतरफा नहीं हो सकता। अगर कच्चे तेल के दाम गिरते हैं तो उसका लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाना चाहिए।'

चैंबर ने कहा कि हालांकि यह सच है कि सरकार को इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और वेलफेयर से जुड़े कार्यक्रमों के लिए संसाधनों की जरुरत होती है, लेकिन केंद्र और राज्यों की पेट्रोल और डीजल पर जरुरत से ज्यादा निर्भरता आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। 

नोट में कहा गया है, 'इसका असर आर्थिक आंकड़ों पर दिख रहा है। साल-दर-साल आधार पर अगस्त में मुद्रास्फीति की दर क्रमश: 24 फीसदी और 20 फीसदी थी। इससे ऐसे समय में जब उद्योग को निवेश के लिए कम महंगी फंडिंग की जरुरत है तब भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों को घटाने की संभावनाओं पर असर पड़ता है।'

पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर धर्मेंद्र प्रधान ने पल्ला झाड़ा, कहा- GST ही एक मात्र उपाय

HIGHLIGHTS

  • औद्योगिक संगठन एसोचैम ने की डीजल और पेट्रोल की कीमतों में कटौती की मांग
  • देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें पिछले 3 साल के अधिकतम स्तर पर है

Source : News Nation Bureau

petrol and diesel price Oil Price Assocham
Advertisment
Advertisment
Advertisment