Business News: जब हम किसी बिजनेस की शुरुआत करते हैं तो उसको अंदर एक सबसे जरूरी पॉइंट होत है. पॉइंट यह है कि आप उसके लिए पैसा कहां से लाएंगे. इसके लिए आपको बिजनेस के अंदर कुछ एसेट्स क्रिएट करने होंगे. दरअसल, बिजनेस में पैसा दो तरीके से आता है. एक होता है इक्विटी मतलब ऑनरशिप या निवेशक जो बिजनेस में पैसा निवेश करते हैं. दूसरा होता है डेट यानी की लोन. किसी भी बिजनेस को शुरू करने के ये ही दो तरीके होते हैं.
Assets=Equity+Liabilities
मान लो कि आप कोई बिल्डिंग (Assets)खरीदना चाहते हैं. जिसकी कीमत एक करोड़ रुपए है. लेकिन आपके पास केवल 20 लाख रुपए हैं. ऐसे में आप 20 लाख रुपए तो सेल्फ फंड कर देते हैं और 80 लाख रुपए लोन पर उठा लेते हैं. इस तरह से 20 लाख रुपए आपनी इक्विटी हो गई और 80 लाख रुपए लायबिलिटी. बिजनेस में Assets वास्तव में किसी शख्स का वो संसाधन होता है, जो भविष्य में कैश फ्लो जनरेट करने में उसकी मदद करता है. उदाहरण के तौर पर अगर आप बिल्डिंग खरीदते हैं तो उसके किराए के रूप में उसकी अलग से इनकम हो सकती है. मार्केट की भाषा में इसको पैसिव इनकम ( Passive Income ) भी कहा जाता है. जबकि लायबिलिटी का सीधा मतलब देनदारी से है.
इक्विटी(Equity)- जब आप एसेट्स में से लाइबिलिटीज को घटा देते हैं तो शेष आपकी इक्विटी बचती है. इक्विटी का मतलब आपकी ऑनरशिप होता है. इक्विटी को ही आप ऑनरशिप कहते हैं. इस तरह से एक करोड़ की बिल्डिंग में आपकी इक्विटी 20 प्रतिशत हुई. इक्विटी के नेट वर्थ भी कहा जाता है.
Equity=Assets-Liabilities
यहां एक बाद गौर करने वाली यह है कि जैसे-जैसे आप अपनी लायबिलिटी कम करते जाते हैं, वैसे-वैसे आपकी इक्विटी बढ़ती जाती है. लायबिलिटीज चुकाने का बाद होने वाला प्रोफिट आपकी इक्विटी में जुड़ता जाता है. एसेट्स भी दो तरीके के होते हैं.
Source : Mohit Sharma