Advertisment

GST के 4 साल पूरे होने के मौके पर CAIT ने दिया ये बड़ा बयान

कैट (CAIT) के अनुसार जीएसटी के तहत अभी हाल ही के महीनों में हुए विभिन्न संशोधनों और नए नियमों ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज ऑफ डूइंग बिजनेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
जीएसटी (Goods And Services Tax-GST)

जीएसटी (Goods And Services Tax-GST)( Photo Credit : NewsNation)

Advertisment

कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation of All India Traders-CAIT) ने आज जीएसटी (Goods And Services Tax-GST) के देश में चार वर्ष पूरे (4 years of GST) होने पर जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर बड़ा तंज कसा. कैट ने कहा कि चार वर्षों के बाद यह अब एक औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य गुड एंड सिंपल टैक्स'' के ठीक विपरीत है. वहीं देश के व्यापारियों के लिए एक बड़ा सिरदर्द भी बन गई है. कैट के अनुसार, '' जीएसटी के तहत अभी हाल ही के महीनों में हुए विभिन्न संशोधनों और नए नियमों ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज ऑफ डूइंग बिजनेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है.

यह भी पढ़ें: पेट्रोल, डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी रुकी, जानिए आज क्या है रेट

कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय भी मांगा है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, जीएसटी को विकृत करने में केंद्र सरकार की बजाय राज्य सरकारों की हठधर्मिता ज्यादा जिम्मेदार हैं जिन्होंने कर प्रणाली में विसंगतियां और समान कर प्रणाली को अपने लाभ की खातिर दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. उन्होंने कहा, चार वर्ष में किसी राज्य सरकार ने एक बार भी व्यापारियों को जीएसटी के मुद्दे पर नहीं बुलाया और न ही कभी जानने की कोशिश करी की व्यापारियों की समस्याएं क्या हैं? क्यों जीएसटी का कर दायरा अनुपातिक स्तर पर नहीं बढ़ रहा.

उन्होंने आगे कहा कि, भारत में जीएसटी लागू होने के 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है और सही तरीके से काम नहीं कर रहा। नियमों में संशोधन किया गया है लेकिन पोर्टल उक्त संशोधनों के साथ समय पर अद्यतन करने में विफल है। अभी तक कोई भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है. कैट के मुताबिक, वन नेशन-वन टैक्स के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने के लिए राज्यों को खुला हाथ दिया गया है.

HIGHLIGHTS

  • कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय मांगा
  • जीएसटी को विकृत करने में केंद्र की बजाय राज्य सरकारों की हठधर्मिता ज्यादा जिम्मेदार: कैट
GST CAIT The Confederation of All India Traders Confederation of All India Traders 4yearsofGST GST Taxpayers
Advertisment
Advertisment