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'मार्केट को खराब करने के लिए ई कॉमर्स पोर्टल, ब्रांड और बैंक भी बराबर के जिम्मेदार'

CAIT ने आरोप लगाया है कि केवल अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में विभिन्न ब्रांड की स्वामित्व वाली कंपनियां संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं.

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Dhirendra Kumar
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'मार्केट को खराब करने के लिए ई कॉमर्स पोर्टल, ब्रांड और बैंक भी बराबर के जिम्मेदार'

मार्केट को खराब करने के लिए ई कॉमर्स पोर्टल और बैंक भी जिम्मेदार: CAIT( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (Confederation Of All India Traders-CAIT) ने आरोप लगाया है कि केवल अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियां ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में विभिन्न ब्रांड की स्वामित्व वाली कंपनियां जिनमें खासतौर पर मोबाइल, एफएमसीजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल उपकरण, फुटवियर, गारमेंट, गिफ्ट आइटम्स, घड़ियां और अन्य क्षेत्रों के ब्रांड और विभिन्न बैंक भी ऑनलाइन पोर्टल्स पर विभिन्न उत्पादों की कीमतों में भारी डिस्काउंट देने के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं.

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यह स्पष्ट है कि ये ब्रांड मालिक कंपनियां ऑफलाइन बाजार का भी शोषण कर रही हैं और ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ ऑनलाइन और ऑफलाइन बाजार दोनों के लिए अलग-अलग मूल्य नीति रखती है जो प्रतिस्पर्धा कानून का स्पष्ट उल्लंघन है.

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ई कॉमर्स कंपनियां सरकार की एफडीआई नीति का कर रही हैं उल्लंघन
कैट ने उन विभिन्न बैंकों की भी कड़ी आलोचना की जो अपने ई कॉमर्स पोर्टल पर खरीद करने पर अपने संबंधित क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से भुगतान होने पर कैश बैक और अन्य विभिन्न प्रकार की छूट दे रहे हैं. कैट ने आरोप लगाया है कि न केवल ई कॉमर्स कंपनियां सरकार की एफडीआई नीति के उल्लंघन करते हुए लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचना, भारी डिस्काउंट देना और अन्य अनुचित व्यापार प्रथाओं के द्वारा बाज़ार को खराब कर रही हैं.

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वहीं दूसरी ओर ब्रांड कंपनियों एवं विभिन्न बैंकों और अन्य सेवा प्रदाताओं की शातिर सांठगांठ है जो बड़े स्तर पर ई कॉमर्स बाज़ार और ऑफलाइन मार्केट में क़ीमतों का भारी अंतर डाल रही हैं और यह अनैतिक सांठगांठ देश के ई-कॉमर्स बाजार में विकृति और असमान स्तर की प्रतिस्पर्धा के वातावरण का निर्माण कर रही हैं जो एफडीआई नीति और प्रतिस्पर्धा अधिनियम दोनों के विपरीत हैं.

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कैट ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के हालिया बयान की सराहना करते हुए कहा उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा की ई-कॉमर्स कंपनियों को भारी डिस्काउंट देने और लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने का कोई अधिकार नहीं है लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस बयान को भी ई-कॉमर्स कंपनियों ने अनसुना कर दिया है क्योंकि गोयल की चेतावनी के बाद भी उन्होंने अपने व्यवसाय मॉडल में कोई बदलाव नहीं किया है.

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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने आज केंद्र सरकार से ई कॉमर्स मार्केट, शातिर कंपनियों और बैंकों की सांठगांठ को शांत करने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों की सांठगांठ की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है. यह विशुद्ध रूप से एक गैर कानूनी अपवित्र गठबंधन है. दोनों ने इस विषय का मजबूती से विरोध करते हुए कहा कि कैट जल्द ही इस विषय पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास से मुलाकात करेगा और न्याय की मांग करेगा. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-कॉमर्स और दूसरे रिटेल व्यापार के मॉडल में विकृतियों के अध्ययन के लिए मंत्रियों के समूह का गठन करने का भी आग्रह किया है.

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