Coronavirus (Covid-19): उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में पिछले 4-5 दिन में 4 हजार औद्योगिक इकाइयों (Industrial Unit) को चालू कर दिया गया है. यह सभी चार हजार इकाईयां फिलहाल 'ऑरेंज जोन' में चालू की गयी हैं. हालांकि जिले में माइक्रो, स्मॉल, मीडियम, हैवी सेक्टर की 27000 के करीब यूनिट्स स्थापित हैं, इन 27000 में से 14000 यूनिट्स इंडस्ट्रीज से जुड़ी हैं. जिले में इस वक्त 40 फीसदी यानि करीब 1 लाख 30 हजार श्रमिक मौजूद हैं, जबकि अन्य राज्यों को वापस जा चुके 2 लाख से ज्यादा श्रमिकों के जिले में लौटने का इंतजार है.
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गुरुवार को यह तमाम तथ्य जिले के उपायुक्त (उद्योग) बीरेंद्र कुमार ने बताये. उन्होंने आगे कहा कि 145 हैवी इंडस्ट्रीज, 149 मीडियम जबकि 5271 स्मॉल इंडस्ट्री तथा 587 असेंसियल आइटम्स जैसे फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, दूध-पानी प्लांट, खाद्य मसाला, सेनेटाइजर, मास्क आदि से जुड़ी इकाईयों का भी संचालन जिले में 25 मार्च से 15 अप्रैल 2020 के बीच ही शुरू कर दिया गया था. गाजियाबाद जिले के उपायुक्त (उद्योग) बीरेंद्र कुमार ने कहा कि चार पांच दिन में हाल फिलहाल ऑरेंज जोन में जो 4000 हजार इकाइयां शुरू की गयी हैं, उनमें स्टील फैब्रीकेशन, टैक्सटाइल, केमीकल प्लांट्स सहित कुछ छोटी इकाइयां भी शामिल हैं.
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उन्होंने कहा कि 5 मई 2020 से लागू किये गये नये शासनादेश के मुताबिक, अब हम किसी भी ईकाई को चालू करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं, क्योंकि अब इसकी जररूत नहीं है. शासन ने नये आदेश में कहा है कि, जो भी औद्योगिक इकाईंयां चालू करना चाहता है, वो जिला उपायुक्त उद्योग के कार्यालय में सिर्फ अपना प्रतिवेदन दाखिल कर दे. बीरेंद्र कुमार के मुताबिक नये शासनादेश के बाद से यानि 5 मई से 7 मई के बीच तक इन दो दिनों में ही मेरे कार्यालय को 750 प्रत्यावेदन मिल चुके हैं. इन सभी प्रत्यावेदन में लोगों ने खुद ही अपने अपने उद्योग खोलने की सूचना दी है.
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जब लॉकडाउन और कोरोना सी महामारी के चलते श्रमिक वर्ग जिले से जा चुका है ऐसे में उद्योगों को दुबारा कैसे चालू किया जा रहा है? पूछने पर गाजियाबाद के उपायुक्त (उद्योग) ने कहा कि अभी भी जिले में करीब 1 लाख 30 हजार श्रमिक मौजूद है. फिलहाल इन्हीं की मदद से उद्योग शुरू हुए हैं. जिले में लॉकडाउन से पहले मौजूद श्रमिकों का हालांकि यह 40 फीसदी ही है. बाकी 60 फीसदी में से एक अनुमान के मुताबिक 10 फीसदी श्रमिक अभी दिल्ली में हैं. साथ ही शेष श्रमिक वर्ग यानि करीब 50 फीसदी (सवा दो लाख के करीब) यूपी के पूर्वांचल, बिहार और मध्य प्रदेश में मौजूद है. धीरे धीरे इन सबको भी जिले में वापस लाने के प्रयास शुरू कर दिये गये हैं.