Coronavirus (Covid-19): कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (The Confederation of All India Traders-CAIT) ने कहा की कोविड के कारण बुरी तरह से हताहत व्यापार एवं अर्थव्यवस्था और कोविड से मरते लोगों के बीच अब सरकार को तय करना चाहिए की क्या ज्यादा जरूरी है. हालांकि यह बहुत मुश्किल काम है. कैट ने कहा है कि अप्रैल महीने में कोविड महामारी के कारण देश में घरेलू व्यापार को 6.25 लाख करोड़ के व्यापार न होने का नुकसान हुआ है, जबकि इसी महीने में देश में 52926 व्यक्तियों ने कोविड महामारी के कारण अपना जीवन खो दिया है. केंद्र एवं राज्य सरकारों को भी कुल मिलाकर लगभग 75 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का अनुमान है.
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कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि अप्रैल के महीने में भारत में 52926 लोगों की मौत का आंकड़ा विश्व स्वास्थय संगठन की उस रिपोर्ट से लिया गया हैं जिसमें कोरोना वायरस बीमारी की महामारी से होने वाली मौतों की मासिक संख्या सरकार द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को अन्य देशों की तरह दी जाती है. दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि अप्रैल महीने में देश के कुल घरेलू कारोबार में लगभग 6.25 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है जिसमें खुदरा व्यापार को 4.25 लाख करोड़ जबकि थोक व्यापार को लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का अनुमानित नुकसान है.
कोरोना से मौत के आंकड़ों की अनदेखी नहीं की जा सकती
भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि निश्चित रूप से व्यापार हानि के आंकड़े न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर बना रहे हैं बल्कि घरेलू व्यापार की दुर्दशा की तरफ भी इशारा कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए कोरोना से मौत के आंकड़ों की अनदेखी नहीं की जा सकती है. भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए मानव संसाधनों का नुकसान भी उतना ही महत्वपूर्ण है. कोविड की वजह से देश में लोगों को बेहद मुश्किल समय का सामना करना पड़ रहा है और कोरोना के आंकड़े तेजी से प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं जिस पर यदि तुरंत लगाम नहीं लगाई गई तो भविष्य में और अधिक कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है. इस दृष्टि से देशवासियों को कोरोना से सुरक्षा के लिए वाणिज्यिक गतिविधि पर रोक लगाने की कीमत पर भी सख्त उपायों को अपनाने की आवश्यकता है. वहीं दूरी ओर ऑक्सीजन की उपलब्धता और चिकित्सा अस्पतालों की सेवाओं में वृद्धि के साथ ही आवश्यक दवाओं सहित चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता भी बेहद जरूरी है.
कैट 15 दिनों से प्रधानमंत्री से राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने का कर रहा है आग्रह
भरतिया एवं खण्डेलाल ने कहा की मानव संसाधन हमेशा किसी भी अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी पूंजी रहे है जो किसी भी परिस्थिति में अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकते है लेकिन अर्थव्यवस्था मानव संसाधनों के नुकसान को पुनर्जीवित नहीं कर सकती है. वर्तमान स्थिति से मजबूती से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय लॉक डाउन बेहद जरूरी है और यही कारण है कि कैट गत 15 दिनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश में राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाने का आग्रह कर रहा है. कल उच्चतम न्यायायलय ने भी केंद्र एवं राज्य सरकारों से लॉक डाउन लगाने पर विचार करने का सुझाव दिया है. भरतिया और खंडेलवाल ने आगे कहा कि लोगों के जीवन की सुरक्षा और कोविड संक्रमणों की श्रृंखला को तोड़ने के लिए एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को किसी भी प्रकार के कोविड संक्रमण से बचाना वर्तमान समय में केंद्र एवं राज्य सरकारों की प्राथमिकता होनी चाहिए.
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भरतिया और खंडेलवाल दोनों ने कुछ निंदनीय लोग जो अपने स्वार्थ की खातिर दवाइयों, मेडिकल उपकरण एवं अन्य जरूरी चीजों की कालाबाज़ारी कर रहे ऐन के खिलाफ केंद्र सरकार से कड़े से कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है. ऐसे लोग मानवता के दुश्मन हैं और उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया की ऐसे लोगों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन किया जाना चाहिए. ऐसे मामलों में लिप्त लोगों को उनके इस अक्षम्य अपराध के लिए कठोर दंड देना चाहिए. इन जघन्य अपराध के लिए इन लोगों को सजा से बचने का कोई रास्ता नहीं हो सकता है.
HIGHLIGHTS
- अप्रैल में कोविड महामारी के कारण देश में घरेलू व्यापार को 6.25 लाख करोड़ के व्यापार न होने का नुकसान
- केंद्र एवं राज्य सरकारों को भी कुल मिलाकर लगभग 75 हजार करोड़ रुपये के राजस्व के नुकसान का अनुमान