संकटग्रस्त गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी डीएचएफएल (DHFL) ने कहा है कि लेखा परीक्षक ग्रांट थॉर्टन (Grant Thornton) ने कम मूल्यांकन, धोखाधड़ी और कुछ संस्थाओं को तरजीही व्यवहार के जरिए 1,052.32 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का पता लगाया है. कंपनी दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत समाधान की प्रक्रिया से गुजर रही है. कंपनी को अब एक प्रशासक के तहत चलाया जा रहा है और उसने इस साल की शुरुआत में ग्रांट थॉर्टन को लेखा जांच के लिए नियुक्त किया था.
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दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (डीएचएफएल) ने शेयर बाजार को बताया कि कंपनी के प्रशासक ने पेशेवर एजेंसी (ग्रांट थॉर्नटन) से अतिरिक्त रिपोर्ट प्राप्त की है, जिससे संकेत मिलते हैं कि कुछ लेन-देन की प्रकृति कम मूल्यांकन वाली, धोखाधड़ी भरी और तरजीही हैं.
कर्ज बोझ से दबी डीएचएफएल के लिए ओकट्री ने सबसे ऊंची बोली लगाई
अमेरिका की कंपनी ओकट्री ने कर्ज के बोझ से दबी डीएचएफएल के लिए सबसे ऊंची बोली लगाई है. डीएचएफएल फिलहाल दिवाला प्रक्रिया में है. डीएचएफएल के अधिग्रहण के लिए नए सिरे से बोलियां मांगी गई थीं. पीरामल एंटरप्राइजेज और अडाणी ग्रुप को पीछे छोड़ते हुए ओकट्री ने सबसे ऊंची बोली लगाई है. ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने संशोधित बोलियां देने के लिए 14 दिसंबर की समयसीमा तय की थी. सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि ओकट्री ने अपनी बोली को बढ़ाकर 36,646 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें 1,000 करोड़ रुपये बीमा के और 3,000 करोड़ रुपये अर्जित ब्याज के शामिल हैं.
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वहीं पीरामल एंटरप्राइजेज ने 35,550 करोड़ रुपये की बोली लगाई है. इसमें 300 करोड़ रुपये बीमा और 3,000 करोड़ रुपये अर्जित ब्याज के हैं. सूत्रों ने बताया कि ओकट्री ने डीएचएफएल के लिए सशर्त पेशकश की है. वहीं अडाणी समूह ने अपनी बोली को बढ़ाकर 33,100 करोड़ रुपये किया है. इसमें 250 करोड़ रुपये बीमा के और 3,000 करोड़ रुपये अर्जित ब्याज के हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल नवंबर में दीवान हाउसिंग फाइनेंस लि. (डीएचएफएल) को दिवाला प्रक्रिया के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) के पास भेजा था. डीएचएफएल पहली वित्तीय कंपनी है जिसे रिजर्व बैंक ने धारा 227 में विशेष अधिकारों के तहत एनसीएलटी के पास भेजा.