लागत में बढ़ोतरी से प्रभावित, देश के फाउंड्री (ढलाई) उद्योग (Foundry Industry) ने ‘पिग आयरन’ और अन्य कच्चे माल पर आयात शुल्क घटाने की मांग की है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन फाउंड्रीमेन (Institute of Indian Foundrymen-IIF) के अध्यक्ष विजय एस बेरीवाल ने कहा कि उद्योग के लिए पिग आयरन और अन्य कच्चे माल की कीमतों में 30-50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. उद्योग संगठन ने वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए सरकार से बिजली पर सब्सिडी दिये जाने की भी मांग की है.
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रसायनों की कीमतें 15-20 प्रतिशत महंगी
बेरवाल ने कहा कि पिछले 5-6 महीनों में इस्पात की कीमतों में 30-50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और ढलाई में काम आने वाले रसायनों की कीमतें 15-20 प्रतिशत महंगी हो गयी हैं. उन्होंने दावा किया, अन्य देशों की तुलना में, भारत में बिजली की लागत अधिक है, जो अधिक ऊर्जा खपत वाले फाउंड्री उद्योग को नुकसान पहुंचा रहा है. बेरिवाल ने कहा कि विनिर्माण लागत का 15-20 प्रतिशत ऊर्जा खर्च होता है.
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चीनी सरकार ने कोविड-19 महामारी से पहले अपनी इकाइयों को 10 प्रतिशत प्रोत्साहन और संकट के बाद फिर से पांच प्रतिशत प्रोत्साहन को बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि उच्च लागत का, भारत से तीन अरब डॉलर के फाउंड्री निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में इकाइयों को गैर-प्रतिस्पर्धी बनाता है.