शेयर बाजार रेग्युलेटर भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी-SEBI) ने प्रमोटर्स के निवेश के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक ऑफर (IPO) के नियमों में कुछ अहम बदलाव कर दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक SEBI ने IPO के बाद न्यूनतम लॉक इन पीरियड को कुछ शर्तों के साथ 3 साल से घटाकर 18 महीने कर दिया है. बता दें कि SEBI का नया फैसला ऐसे समय में आया है जब कई कंपनियां शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने के लिए प्रयासरत हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेबी ने ग्रुप कंपनियों के लिए डिस्कोलजर (Disclosure) संबंधी जरूरतों को भी सुव्यवस्थित किया है.
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सेबी के द्वारा जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक किसी भी परियोजना के लिए पूंजीगत व्यय का वित्त पोषण को छोड़कर आईपीओ का उद्देश्य कुछ और है या फिर बिक्री की पेशकश है. तो ऐसे में प्रमोटर्स की कम से कम 20 फीसदी हिस्सेदारी अब 18 महीने के लिए लॉक इन रहेगी. बता दें कि मौजूदा समय में यह लॉक-इन पीरियड तीन साल है. गौरतलब है कि पूंजीगत व्यय में अन्य कार्यों के साथ सिविल कार्य, भवन, संयंत्र, मशीनरी और विविध अचल संपत्तियां, भूमि की खरीद आदि शामिल हैं.
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न्यूनतम 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए लॉक इन पीरियड घटाया
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक SEBI ने प्रमोटर्स की न्यूनतम 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए लॉक इन पीरियड को मौजूदा 1 साल से घटाकर 6 महीने कर दिया है. इसके साथ ही प्रमोटर्स के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों द्वारा IPO (आईपीओ) से पूर्व प्राप्त Securities के लिए भी लॉक इन अवधि को आवंटन की तारीख से 6 महीने कर दिया है. बता दें कि मौजूदा समय में इसकी अवधि 1 साल है.
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HIGHLIGHTS
- प्रमोटर्स की न्यूनतम 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी के लिए लॉक इन पीरियड को घटाकर 6 महीने किया
- प्रमोटर्स के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों द्वारा IPO से पूर्व प्राप्त Securities के लिए लॉक इन अवधि घटाया