सरकारी एयरलाइन कंपनी एअर इंडिया (Air India) का निजीकरण होना लगभग तय माना जा रहा है. दरअसल, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राज्य सभा में सदन को जानकारी देते हुए कहा है कि मौजूदा समय में सरकार को एअर इंडिया से रोजाना 15 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. साथ ही एअर इंडिया अपने बेड़े में 20 एयरक्राफ्ट की कमी का सामना भी कर रही है.
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सरकार ने पहली बार निजीकरण को स्वीकारा
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि कंपनी की हालात सुधारने के लिए निजीकरण जरूरी हो गया है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पहली बार एअर इंडिया में निजीकरण को खुले तौर पर स्वीकार किया है. केंद्र सरकार पहले भी कई बार विनिवेश की कोशिश कर चुकी है.
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इस साल एअर इंडिया को 9 हजार करोड़ रुपये चुकाना है कर्ज
कंपनी को चालू वित्त वर्ष में 9 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाना है. एअर इंडिया ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से मदद की मांग की थी. सरकार ने एअर इंडिया की मांग को अस्वीकार कर दिया था. दरअसल, सरकार एअर इंडिया में 76 फीसदी हिस्से की बिक्री करना चाहती है.
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कर्मचारियों पर सैलरी का संकट
केंद्र सरकार ने कंपनी को 7 हजार करोड़ की रकम पर सॉवरेन गारंटी दी थी. फिलहाल कंपनी के पास 2,500 करोड़ रुपये हैं. जानकारी के मुताबिक कंपनी के पास बची हुई रकम कुछ ही महीने में एअरलाइन के परिचालन में खर्च हो जाएगी. अक्टूबर के बाद कंपनी को सैलरी संकट का सामना करना पड़ सकता है. गौरतलब है कि एअर इंडिया प्रति माह तनख्वाह पर 300 करोड़ रुपये खर्च वहन करती है.
HIGHLIGHTS
- सरकारी एयरलाइन कंपनी एअर इंडिया (Air India) का निजीकरण होना लगभग तय
- सरकार को एअर इंडिया से रोजाना 15 करोड़ रुपये का नुकसान: हरदीप सिंह पुरी
- एअर इंडिया को चालू वित्त वर्ष में 9 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाना है