भारत सरकार अब आपके ऑनलाइन शॉपिंग का भी आंकड़ा रखेगी। नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) अगला कन्ज्यूमर एक्सपेंडिचर सर्वे शुरू करने जा रहा है। जिसके तहत वो आपसे ऑनलाइन परचेज़ और ई-कॉमर्स के खर्च की भी जानकारी मांगे सकती है।
नासो हर साल देश में सर्वे करता है। जिसमें शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पारिवारिक स्तर पर कमोडिटी और सर्विसेज़ पर किये जाने वाले खर्च के आंकड़े जुटाए जाते हैं।
इकनॉमिक टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार एनएसएसओ से जुड़े अधिकारियों और सरकारी डेटा मैनेजरों का मानना है कि ई-कॉमर्स पर खर्च इस लेवल पर पहुंच गया है कि उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती और इसे नेशनल इकनॉमिक डेटाबेस में शामिल किया जा सकता है।
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रेडसीयर कंसल्टिंग की तरफ से किये गए एक अध्ययन के अनुसार, साल 2016 में देश का ई-कॉमर्स सेक्टर में व्यापार 14.5 अरब डॉलर का था, जबकि देश में रिटेल में होने वाला खर्च करीब 750 अरब डॉलर सालाना है। ई-कॉमर्स सेक्टर अभी बहुत छोटा है और एक दायरे में सिमटा हुआ है। लेकिन इसका दायरा तेजी से बढ़ रहा है।
अमेरिका की मार्केट रिसर्च कंपनी फॉरेस्टर का मानना है कि 2021 तक रिटेल सेल्स में एशिया पैसिफिक का योगदान 25 फीसदी होगा। एशियाई देशों में चीन फिलहाल ऑनलाइन रिटेल में सबसे बड़ा है, लेकिन भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट भी काफी तेज़ी से बड़ रहा है।
नैशनल एक्सपेंडिचर सर्वे में 5,000 शहरी ब्लॉक्स और 7,000 गांवों के करीब 1.2 लाख घरों को शामिल किया जाएगा। इससे स्टेट लेवल डेटा भी सरकार को मिलेगा। इस सर्वे में ये भी जानकारी मिल पाने की कोशिश होगी कि इसका महंगाई दर पर क्या असर पड़ता है।
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हालांकि भारत में ऑनलाइन कॉमर्स इतना बड़ा नहीं है कि देश भर में कीमतों पर उसका ज्यादा असर पड़े। लेकिन का कहना है कि जो भी सर्वे होगा उससे भविष्य में महंगाई पर इसके असर का पता चल पाएगा।
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Source : News Nation Bureau