दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों के एक प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है. इस प्रावधान के तहत वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन बिक्री करने वाली इकाई के लिए भारत में कंपनी के रूप में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने सोमवार को ऑनलाइन कंटेंट का सृजन करने वाले एक व्यक्ति की याचिका पर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.
यह भी पढ़ें: कैट ने बैंकों पर Amazon और Flipkart से साठ-गांठ के आरोप लगाए
कंपनी के रूप में पंजीकरण के बिना ई-कॉमर्स कारोबार नहीं किया जा सकता: याचिकाकर्ता ध्रुव सेठी
याचिकाकर्ता ध्रुव सेठी ने कहा कि यह नियम एकल स्वामित्व वाले कारोबार के लिए कंपनी के रूप में पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है. ऐसे में कंपनी के रूप में पंजीकरण के बिना ई-कॉमर्स कारोबार नहीं किया जा सकता है. सेठी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और सम्यक गंगवाल ने अदालत से कहा कि इस नियम की वजह से प्रत्येक ऐसा कारोबार जो कंपनी नहीं है, वह ई-कॉमर्स क्षेत्र से बाहर हो जाएगा, या फिर उन्हें अपने उत्पादों की बिक्री अमेजन या फ्लिपकार्ट जैसे मंचों के जरिये करनी पड़ेगी.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में चार दिन में 47 पैसे महंगा हुआ पेट्रोल, डीजल भी 79 पैसे बढ़ा
पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता अमेजन पर सूचीबद्ध होकर अपने उत्पादों और सेवाओं की बिक्री कर सकता है। इस पर अधिवक्ताओं ने कहा कि ऐसा करने पर उसे अमेजन को भुगतान करना होगा, जो खुद के जरिये उत्पादों की बिक्री पर नहीं करना होता है.