Hindenburg Research: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद से शेयर बाजार में निवेश करने वाले परेशान है. तमाम निवेशकों का मानना है कि सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भूचाल आ सकता है लेकिन ये तो बाजार खुलने के बाद ही पता चलेगा. लेकिन स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट्स का मानना है कि पिछली बार की तरह इस बार बाजार पर इस रिपोर्ट का कोई निगेटिव रिएक्शन नहीं होने वाला.
जिसके चलते चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. गौरतलब है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने इस रिपोर्ट के बारे में सबसे पहले शनिवार की सुबह को सोशल मीडिया पोस्ट से ऐलान किया गया. इस रिपोर्ट में सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कई आरोप लगाए हैं. हालांकि माधबी पुरी बुच और उनके पति ने अपने ऊपर लगे इन आरोपों से इनकार किया है, उन्होंने इन आरोपों को 'आधारहीन' और 'चरित्र हनन' की कोशिश करार दिया.
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सोशल मीडिया पोस्ट में शॉर्ट सेजर फर्म ने लिखा कि भारत में जल्दी ही कुछ बड़ा होने वाला है. उसके बाद शनिवार देर रात हिंडनबर्ग की रिपोर्ट भी सामने आ गई. इस रिपोर्ट आने से पहले शुक्रवार यानी 9 अगस्त को ही बाजार में पिछले सप्ताह का कारोबार बंद हो चुका था. यानी रिपोर्ट आने के बाद आज यानी सोमवार (12 अगस्त) को बाजार पहली बार खुल रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट का असर बाजार पर देखने को मिल सकता है.
'हिंडनबर्ग पर नहीं विश्वास'
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उन्होंने जिन ट्रेडर्स, डीलर्स और फंड मैनेजर्स से बातचीत उन्होंने रिपोर्ट में नामित लोगों और संस्थाओं पर उंगली उठाने की तुलना में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर से अधिक नाराज थे. निवेश सलाहकार फर्म क्रिक्स के निदेशक अरुण केजरीवाल ने एक मीडिया प्लेटफॉर्म को बताया कि, "हिंडनबर्ग एक टूथलेस संस्था पाई गई है. कोई भी हिंडनबर्ग पर विश्वास नहीं करता."
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उनका मानना है कि हिंडनबर्ग द्वारा भारतीय बाजार को डिस्टर्ब करने का यह बार-बार प्रयास एक गलत मिसाल कायम कर रहा है." उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत इस मामले को IOSCO के साथ उठाए. जिसमें इसके पीछे के लोगों के खिलाफ कानूनी कदम उठाए. बता दें कि IOSCO प्रतिभूति आयोगों का अंतरराष्ट्रीय संगठन, वैश्विक स्तर पर प्रतिभूति बाजार नियामकों का एक संघ है.
जानें स्मॉल कैप और मिड कैप पर क्या होगा असर
चोकालिंगम के संस्थापक और अनुसंधान प्रमुख, इक्विनॉमिक्स रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के मुताबिक, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट सिर्फ आरोप हैं. जिससे संचालित शेयर प्रभावित हो सकते हैं. उनका कहना है कि इन आरोपों से न तो ग्रोथ स्टोरी पर असर देखने को मिलेगा और ना ही अर्निंग पर. इसलिए वाजिब वैल्यूएशन पर ट्रेडिंग करने वाले शेयरों पर इसका कोई असर देखने को नहीं मिलेगा. हालांकि उन्होंने इस रिपोर्ट से कुछ स्मॉल कैप, मिड कैप पर असर पड़ने की बात जरूर कही.
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डेढ़ साल पहले बाजार में आया था भूचाल
जानकारों की मानें तो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का इस बार कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा. हालांकि डेढ़ साल पहले 24 जनवरी 2023 को जब हिंडनबर्ग रिसर्च आई तो शेयर बाजार में भूचाल आ गया. क्योंकि हिंडनबर्ग ने पहली बार अडानी समूह के खिलाफ अपनी रिपोर्ट जारी की थी, उसने बाजार में हड़कंप मचा दिया था. इस रिपोर्ट के आने बाद बाजार में चौतरफा बिकवाली से हाहाकार मच गया. इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के शेयरों पर कई दिनों तक लोअर सर्किट लगता रहा और उनमें 83 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी. अडानी समूह को एमकैप में इस रिपोर्ट के बाद 80 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था.