वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि 2 करोड़ रुपये तक की आवासीय इकाइयों की पहली बिक्री स्टांप शुल्क मूल्य यानी सर्किल रेट से 20 प्रतिशत कम कीमत पर करने की अनुमति दिये जाने से रीयल एस्टेट कंपनियों को अपने बिना बिके मकानों को निकालने में सुविधा होगी और इससे मकान खरीदारों को भी लाभ होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत की तीसरी किस्त के तहत बृहस्पतिवार को घोषित पैकेज में अन्य बातों के अलावा रीयल एस्टेट डेवलपर और मकान खरीदारों के लिए आयकर से राहत के उपाय शामिल हैं.
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12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 तक के लिए है राहत
इसके तहत 2 करोड़ रुपये मूल्य तक की आवासीय इकाइयों की पहली बार खरीद-बिक्री पर आयकर छूट देने का प्रस्ताव किया गया. यह राहत 12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 तक के लिये है. वित्त मंत्रालय ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र में मांग को बढ़ावा देने और खाली पड़े मकानों को सर्किल रेट से काफी कम दर पर बेचने और मकान खरीददारों को लाभ देने के लिये आयकर अधिनियम की धारा 43सीए के तहत 2 करोड़ रुपये मूल्य तक की आवासीय इकाइयों की केवल प्राथमिक अथवा पहली बिक्री के संबंध में कानूनी प्रावधान में राहत दी गयी है. इसके तहत 12 नवंबर, 2020 से 30 जून, 2021 की अवधि के लिए आयकर नियमों के तहत मौजूदा 10 प्रतिशत के दायरे को आगे बढ़ाते हुये 20 प्रतिशत तक करने का निर्णय लिया गया है. बयान में कहा गया है, ‘‘इसके अनुसार आयकर अधिनियम की धारा 56 (2) (x) के तहत उक्त अवधि के लिए कानूनी प्रावधान के तहत राहत के दायरे को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करके इन आवासीय इकाइयों के खरीददारों को भी राहत मिलेगी.
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वित्त मंत्री की इस घोषणा का मतलब है कि अगर संपत्ति का सर्किल रेट 100 रुपये है और उसकी खरीद-बिक्री 80 रुपये तक होती है, तो उस पर कर का भुगतान नहीं करना होगा. इसके अनुरूप इन लेन-देनों के लिए सर्कल रेट को बिक्री/ खरीद के प्रस्ताव के रूप में तभी माना जाएगा, जब समझौते के मूल्य और सर्किल रेट के बीच का अंतर 20 प्रतिशत से अधिक हो. यह छूट जून 2021 तक लागू लागू होगी. इससे बिल्डरों को अपने बिना बिके मकानों को निकालने में मदद मिलेगी. एक अनुमान के अनुसार देश में सात से आठ शहरों में अनबिके मकानों की संख्या करीब 7 लाख है.
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नांगिया एंडरसन एलएलपी के भागीदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि आयकर कानून की धारा 43 सीए के तहत प्राथमिक बिक्री के लिये समझौता मूल्य और सर्किल रेट के बीच अंतर को बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने से निश्चित रूप से उद्योग को राहत मिलेगी. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें संपत्ति के लिये कुल मूल्य 2 करोड़ रुपये नियत किया गया है. इससे केवल मध्यम आय वर्ग के लोगों को लाभ होगा जो कोविड-19 महामारी के कारण नकदी की समस्या से जूझ रहे हैं.