Advertisment

निवेशकों के लिए भारत सबसे पसंदीदा जगह, अमेरिका इस साल कर चुका है 40 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश

यूएसआईएसपीएफ के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि कोविड-19 महामारी (Coronavirus Epidemic) के बीच अमेरिकी कंपनियों ने भारत के प्रति काफी भरोसा दिखाया है, जबकि इस दौरान दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है.

author-image
Dhirendra Kumar
एडिट
New Update
Investment

Investment( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

Coronavirus (Covid-19): अमेरिका (America) से भारत (India) को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का आंकड़ा इस साल अब तक 40 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है. भारत पर केंद्रित एक लॉबिंग समूह का कहना है कि यह देश के प्रति अमेरिकी कंपनियों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है. अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के अध्यक्ष मुकेश अघी ने कहा कि कोविड-19 महामारी (Coronavirus Epidemic) के बीच अमेरिकी कंपनियों ने भारत के प्रति काफी भरोसा दिखाया है, जबकि इस दौरान दुनिया की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है.

यह भी पढ़ें: कोरोना काल में लोगों का रुझान पेंशन की ओर बढ़ा, राष्ट्रीय पेंशन योजना से 1.03 लाख नए सदस्य जुड़े

पश्चिम एशिया और सुदूर-पूर्व से भी भारत में आया निवेश
यूएसआईएसपीएफ भारत में अमेरिकी की ओर से बड़ी एफडीआई पर नजर रखता है. अघी ने कहा कि आज की तारीख तक भारत में अमेरिका से निवेश 40 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है. उन्होंने गूगल, फेसबुक और वॉलमार्ट जैसी बड़ी कंपनियों के निवेश का जिक्र करते हुए कहा कि हाल के सप्ताहों में ही अमेरिका की ओर से भारत में 20 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश किया गया है. उन्होंने कहा कि भारत के प्रति निवेशकों का भरोसा काफी ऊंचा है. भारत अब भी विदेशी निवेशकों के लिए काफी आकर्षक बाजार है. हाल में सिर्फ अमेरिका से 20 अरब डॉलर का ही निवेश नहीं आया है, बल्कि पश्चिम एशिया और सुदूर-पूर्व से भी निवेश आया है.

यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस का खेती पर नहीं पड़ा असर, देशभर में अबतक 692 लाख हेक्टेयर में हुई खरीफ की बुवाई 

भविष्य की नीतियां कोविड-19 के बीच अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाली हों: आरबीआई ईडी

भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक एम राजेश्वर राव ने शु्क्रवार को कहा कि भविष्य की आर्थिक नीतियां कोविड-19 के इस दौर में अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाली होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इस महामारी का प्रभाव क्या रहता है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की ओर से पहली प्रतिक्रिया यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजारों का कामकाज जारी रहे और वित्तीय क्षेत्र की ऋण शोधन क्षमता बनी रहे. राव ने उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने कई उपायों मसलन नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती, विशेष वित्त सुविधा, दीर्घावधि रेपो परिचालन (एलटीआरओ) और लक्षित दीर्घावधि रेपो परिचालन (टीएलटीआरओ) की घोषणा की है.

यह भी पढ़ें: उपभोक्ताओं के साथ धोखा करना पड़ेगा महंगा, मोदी सरकार 20 जुलाई से लागू करने जा रही है ये नया कानून

उन्होंने कहा कि विभिन्न उपायों के जरिये रिजर्व बैंक ने महामारी के दौरान बैंकिंग प्रणाली में 6.5 लाख करोड़ रुपये की तरलता डाली है. उन्होंने कहा कि आगे चलकर हमें यह देखना होगा कि विभिन्न क्षेत्रों की कारोबारी गतिविधियों पर इसका क्या असर हुआ. इस मुद्दे को निपटाने के बाद इसी के अनुरूप नीतियां बनानी होंगी. हमें जो स्थिति बन रही है उसे देखना होगा और उसी के अनुकूल नीतियों को संशोधित करना होगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश-दुनिया हमेशा इस महामारी की गिरफ्त में नहीं रहेंगी. निकट भविष्य में यह महामारी संयुक्त इलाज, टीके और बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से समाप्त होगी. महामारी का प्रभाव क्या रहता है भविष्य की नीतियां उसी के इर्द-गिर्द बनाई जानी चाहिए.

INDIA covid-19 coronavirus USA America Indian economy Investment Coronavirus Epidemic Global Economy FDI
Advertisment
Advertisment