संकट में फंसी एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज की मुश्किलें अभी भी बनी हुई हैं. कंपनी के फाउंडर नरेश गोयल भी अब कंपनी में हाथ डालने से कतरा रहे हैं. बीते दिनों जेट एयरवेज की बोली में खुद नरेश गोयल भी शामिल हो रहे थे. वहीं अब जेट एयरवेज की बोली से नरेश गोयल ने हाथ खींच लिए हैं. एतिहाद और टीपीजी आदि निवेशकों ने कहा था कि अगर गोयल बोली का हिस्सा होंगे तो वो प्रक्रिया में भाग नहीं लेगें. इस रिपोर्ट में हम नरेश गोयल को जेट एयरवेज को देश का सबसे भरोसेमंद एयरलाइन कंपनी बनाने तक के सफर की कहानी को देखेंगे.
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19 साल की उम्र में छोड़ दिया था घर
साल 1967 में पिता की मौत के बाद नरेश गोयल के परिवार को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था. उस समय में नरेश गोयल की उम्र 19 वर्ष थी. गोयल ने पटियाला में परिवार को छोड़कर दिल्ली आने का फैसला किया. दिल्ली में गोयल ने रिश्तेदार की एक ट्रैवल एजेंसी ज्वाइन कर ली. इस नौकरी से उन्हें हर महीने करीब 300 रुपये मिल रहे थे.
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ट्रैवल इंडस्ट्री को बनाया अपने सपनों की उड़ान का रास्ता
कॉमर्स में पढ़ाई करने वाले गोयल ने ट्रैवल इंडस्ट्री में कदम बढ़ाने शुरू कर दिए. ट्रैवल इंडस्ट्री में काम के दौरान गोयल की मित्रता विदेशी एयरलाइन कंपनियों में काम करने वाले कुछ लोगों से हुई. इसी दौरान गोयल ने एविएशन सेक्टर में कारोबार की बारीकियां को पूरी तरह से समझा. 1973 में गोयल ने खुद की ट्रैवल एजेंसी खोलने का निर्णय लिया. गोयल ने ट्रैवल एजेंसी को नाम जेट एयर रखा. करीब 20 साल बाद नरेश गोयल ने 1993 में जेट की शुरुआत की. बता दें कि जेट का उद्घाटन जेआरडी टाटा ने किया था. 2002 में जेट एयरवेज को देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन कंपनी बनने का मौका मिला.
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Source : News Nation Bureau