Farmers Protest: किसान आंदोलन (Kisan Andolan) की वजह से आम आदमी के साथ-साथ सरकार को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है. पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHD Chamber of Commerce and Industry) के मुताबिक किसान आंदोलन की वजह से तीसरी तिमाही में 10-20 करोड़ का नहीं, बल्कि 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. उद्योग मंडल के अध्यक्ष संजय अग्रवाल का कहना है कि अब तक 36 दिन के किसान आंदोलन से 2020-21 की तीसरी तिमाही में 70,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान अनुमानित है. इसका कारण खासकर पंजाब, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती इलाकों में आपूर्ति व्यवस्था में बाधा उत्पन्न होना है.
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दिल्ली-NCR को 27 हजार करोड़ का नुकसान
वहीं दूसरी ओर कैट के मुताबिक, किसान आंदोलन की वजह से दिल्ली व एनसीआर को अभी तक 27 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा है. कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया व राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा से दिल्ली आने वाले माल की आपूर्ति पर बड़ा फर्क पड़ा है. इन दोनों राज्यों से विभिन्न वस्तुओं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र एवं देश के अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाले सामान की आपूर्ति पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है.
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देशभर में सामानों की आवाजारी हुई प्रभावित
किसान आंदोलन के चलते न केवल दिल्ली सामान आने पर बल्कि दिल्ली से सम्पूर्ण देश में सामान जाने पर भी काफी प्रभाव पड़ा है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने अनुमान लगाते हुए कहा है कि आंदोलन के कारण लगभग 20 प्रतिशत ट्रक देश के अन्य राज्यों से सामान दिल्ली नहीं ला पा रहे हैं. कैट के अनुसार दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 50 हजार ट्रक देश भर के विभिन्न राज्यों से सामान लेकर दिल्ली आते हैं और लगभग 30 हजार ट्रक प्रति दिन दिल्ली से बाहर अन्य राज्यों के लिए सामान लेकर जाते हैं. उधर, अगर एसोचैम के मुताबिक किसानों आंदोलन की वजह से रोजाना 3000 से 3500 करोड़ रुपए का नुकसान दर्ज किया जा रहा है.