कश्मीर में उगने वाला केसर अब लखनऊ में खिलने लगा है. वह भी बिना मिट्टी और पानी के. गोमतीनगर के विजयंत खंड के रहने वाले हेमंत श्रीवास्तव ने एरोपोनिक विधि से केसर की खेती की है. मिट्टी-पानी के बिना 13-17 डिग्री तापमान बरकरार रखते हुए नमी के जरिए खेती हो रही है.
हेमंत ने अपने घर में 300 वर्ग फुट में सेटअप तैयार करके केसर के 10 टन बीज लगाए हैं. उनके माता और पिता दोनों इस काम में उनका सहयोग कर रहे हैं. हेमंत ने बताया कि घर की पहली मंजिल में 300 वर्ग फुट जगह खाली थी, इसी जगह हमने सेटअप लगाया. कमरे में दो चिलर, ह्युमिडफायर, एलईडी और फोटोसिंथेसिस लाइटें लगाई गई हैं. दिल्ली से फिर ट्रे मंगाई और रैक बनवाई गई. इन सबमें करीब 35 लाख रुपये तक का खर्च आया है.
अमेरिका में पढ़ाई की और नौकरी की
हेमंत ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एमबीए किया फिर वहीं नौकरी की. उनकी पत्नी भी अमेरिका में जॉब कर रही है. बहन भी शादी के बाद से अमेरिका मे है. साल 2016 में उनके पिता रिटायर हुए और लखनऊ आपकर सेटल हो गए. माता-पिता अकेले न रहें, इसलिए हेमंत अपनी पत्नी के साथ लखनऊ लौट आए. पिता को खेती पसंद थी, इसलिए उन्होंने घर में केसर उगाने का फैसला किया.
हेमंत ने केसर की खेती में इस्तेमाल होने वाले बीज को बल्ब कहते हैं. यह बल्ब कश्मीर और बाहर से मंगवाए हैं. इसमें 30 से 35 लाख रुपये का खर्च आया. लैब तैयार होने के बाद सितंबर में बीज लगवाए गए. डेढ़ माह में फूल आ गए. उम्मीद है कि पहली फसल के रूप में एक किलो केसर निकलेगा.
तापमान का रखना पड़ता है ध्यान
हेमंत ने बताया कि फसल उगाने के लिए 13 से 17 डिग्री के बीच तापमान आवश्यक है. केसर उगाने का समय अगस्त से नवंबर के बीच है. अगस्त में एक बार बीज लग जाने के बाद हम दो महीने लाइट नहीं जलाते. कली आने के बाद लाइट जलाते हैं, जिससे फूल खिल सकें. एक फूल में केसर के तीन धागे होते हैं.
क्वॉलिटी की करवाएंगे जांच
हेमंत कहते हैं कि केसर के दाम इसकी क्वालिटी से तय होती है. प्रीमियम क्वालिटी का केसर 500 रुपये प्रति ग्राम बिकता है. केसर निकलने के बाद हम कश्मीर की लैब में जांच के लिए भेजेंगे. केसर की खेती में हमने प्रीमियम क्वालिटी के मंगवाए हैं. उम्मीद है कि हम 600 से 700 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से केसर भेज सकते हैं.