देश की दिग्गज मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी यानि MDH के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी (Dharampal Gulati) का 98 साल की उम्र में निधन हो गया है. वह कोरोना वायरस संक्रमित हो गए थे लेकिन उससे ठीक होने के बाद हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया. सियालकोट पाकिस्तान में 1923 में जन्मे धर्मपाल गुलाटी 1947 में देश के विभाजन के बाद भारत आकर बस गए थे. गुलाटी को व्यापार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पिछले साल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के द्वारा पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था. IIFL वेल्थ हुरुन इंडिया रिच 2020 लिस्ट के मुताबिक गुलाटी देश के अमीरों में 216वें नंबर हैं.
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ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों, यूएई और कनाडा को मसाले का एक्सपोर्ट
विभाजन के समय जब गुलाटी भारत आए थे उस समय उनके पास सिर्फ 1,500 रुपये थे. शुरुआती दौर में परिवार को चलाने के लिए उन्होंने तांगा चलाया. हालांकि समय बीतने के साथ ही उनके पास ठीक ठाक पैसा जमा हो गया. उन्होंने इस पैसे से दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोली. उनका मसाले का कारोबार धीरे-धीरे बढ़ने लगा और समय बीतने के साथ आज उनकी भारत और दुबई में कई फैक्ट्रियां परिचालन में हैं. इन्हीं फैक्टरियों में उत्पादन किए गए MDH के मसाले दुनियाभर में सप्लाई होते हैं. MDH ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों, यूएई और कनाडा आदि में वह बड़े पैमाने पर मसालों का एक्सपोर्ट करता है. एक अनुमान के मुताबिक धर्मपाल गुलाटी की मौजूदा दौलत 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है और देश के धनकुबेरों की लिस्ट में सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं.
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धर्मपाल गुलाटी ने सिर्फ कक्षा 5 तक की थी पढ़ाई
जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में MDH के 60 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं. धर्मपाल गुलाटी अपने उत्पादों का विज्ञापन खुद ही करते थे. आपने अक्सर उन्हें टेलीविजन पर विज्ञापन करते हुए देखा होगा. एडवर्टाइजिंग की दुनिया में उन्हें सबसे अधिक उम्र का स्टार माना जाता था. महज 1,500 रुपये लेकर भारत आए धर्मपाल गुलाटी आज 5,400 करोड़ रुपये की दौलत के मालिक हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्मपाल गुलाटी ने सिर्फ कक्षा 5 तक की ही पढ़ाई की थी.
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धर्मपाल गुलाटी के पिता की पाकिस्तान में माशियां दी हट्टी के नाम से मसाले की एक दुकान थी. उन्होंने 1919 में मसाला कारोबार की शुरुआत की थी, लेकिन देश विभाजन के पश्चात भारत आना पड़ गया और गुलाटी के परिवार ने शुरुआत में अमृतसर में शरण लिया था. अपने शुरुआती दिनों में धर्मपाल गुलाटी ने पिता के दिए हुए पैसे से एक तांगा खरीद लिया. गुलाटी इस काम में ज्यादा सफल नहीं रहे और उन्होंने वापस अपने पारिवारिक कारोबार की ओर रुख कर लिया था. करोलबाग में मसाले की दुकान खोलने के बाद उन्हें काफी सफलता मिली और उन्होंने चांदनी चौक में एक दुकान खोल ली. गुलाटी सफलता की सीढ़ी चढ़ते हुए दिल्ली के कीर्ति नगर में एक फैक्ट्री की शुरुआत की और अपने पारिवारिक कारोबार को माशियां दी हट्टी यानि MDH के रूप में एक कंपनी के रूप में दुनिया के सामने मिसाल खड़ी कर दी.