जम्मू-कश्मीर के व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों ने स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा सामना की जा रही मुश्किल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक अलग नीति बनाने की मांग की है. विभिन्न व्यापार/औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ एक वेबिनार सत्र में भाग लिया, जिसके दौरान यह मांग उठाई गई. प्रतिनिधियों ने सीतारमण को बताया कि केंद्र को जम्मू-कश्मीर में बदहाल औद्योगिक क्षेत्र को बचाने और बढ़ती बेरोजगारी को दूर करने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे.
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'जम्मू-कश्मीर पीस फोरम' के अध्यक्ष सतीश महालदार ने किया था सत्र का आयोजन
सत्र का आयोजन 'जम्मू-कश्मीर पीस फोरम' के अध्यक्ष सतीश महालदार ने किया था. महालदार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि सीतारमण ने प्रतिभागियों को बताया कि केंद्र जमीनी स्थिति के बारे में सुनने और समझने के लिए उत्सुक है क्योंकि इससे नीतियां बनाने में मदद मिली हैं. वित्त मंत्री ने कहा कि हम उद्योग में सभी हितधारकों के साथ बातचीत कर रहे हैं और हमें इससे लाभ हुआ है. हम करीब से जमीनी स्थिति के बारे में सुनना चाहते हैं और विभिन्न हितधारकों से मिले इनपुट के आधार पर, नीति में बदलाव किए जाते हैं.
जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलीं वित्त मंत्री
सीतारमण ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मिलीं, जिन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के लिए अधिक सहयोग और संसाधनों के बारे में भी बात की. महालदार ने प्रतिभागियों से कहा कि बैठक का मुख्य उद्देश्य मुख्य रूप से यह समझना था कि हम केंद्र शासित प्रदेश के विकास, रोजगार, आय और समग्र आर्थिक विकास की दर में वृद्धि के लिए सभी क्षेत्रों में सतत औद्योगिक विकास कैसे प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विकास को लेकर रुझान उत्साहजनक नहीं है. जम्मू-कश्मीर उन क्षेत्रों में से एक है जहां जनसांख्यिकी स्थिति और सामाजिक-आर्थिकविकास का स्तर संतोषजनक नहीं है.
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जिन स्थानीय औद्योगिक क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने वेबिनार में भाग लिया, उनमें चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष शेख आशिक, सोपोर औद्योगिक संघ के अध्यक्ष जावेद अहमद भट, बारी ब्राह्मण इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित महाजन, और जम्मू-कश्मीर पीएसयू कर्मचारी अध्यक्ष वजाहद दुर्रानी शामिल रहे. आशिक ने कहा कि स्थानीय उद्योगपतियों ने 17 मार्च को सीतारमण से मुलाकात की थी, लेकिन उस बैठक के बाद ज्यादा कुछ नहीं हुआ. हम आशा करते हैं कि अनलॉक के बीच अब स्थिति सुधरेगी.