केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार छोटे किराना स्टोर्स को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल रिटेल फ्रेमवर्क (National Retail Framework) बना रही है. इस योजना के अमल में आने के बाद छोटे किराना स्टोर्स भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स से मुकाबला करने में सक्षम हो जाएंगे. इस योजना के तहत रिटेलर्स को वन-टाइम रजिस्ट्रेशन फीस, वर्किंग कैपिटल के लिए सॉफ्ट लोन और इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट जैसी सुविधाएं सरकार की ओर से दी जाएंगी.
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राज्यों से किराना स्टोर्स की संख्या की जानकारी मांगी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के अनुकूल फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है. बता दें कि रिटेल के लिए फिलहाल हर राज्य अपनी पॉलिसी को अपना रहे हैं. इस फ्रेमवर्क के तैयार करने के लिए डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (DPIIT) ने राज्यों से किराना स्टोर्स की संख्या की जानकारी मांगी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में देश में 2.7 लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था में स्थानीय व्यापार का करीब 15 फीसदी योगदान है.
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इस समय देश में 6 करोड़ से भी ज्यादा बिजनेस इंटरप्राइज मौजूद हैं और इस घरेलू व्यापार की वजह से तकरीबन 25 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है. ज्यादातर राज्यों में दुकानों को लेकर नियम हैं और उसी नियम के तहत उन्हें रजिस्टर किया जाता है. सभी राज्यों में रजिस्ट्रेशन पॉलिसी, फीस और अन्य नियम अलग-अलग हैं.
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मोदी सरकार का इस फ्रेमवर्क के जरिए छोटी किराना स्टोर्स के लिए नियमों को आसान बनाने और उनके विकास का लक्ष्य है. इसके अलावा किराना दुकानों की लागत करने का भी मुख्य उद्देश्य है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेड (CAIT) के सेक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि करीब 65 फीसदी स्टोर्स अभी भी डिजिटल नहीं हुए हैं. बता दें कि कैट ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ रिटेलर्स की शिकायतों को लेकर लगातार सरकार तक अपनी बात पहुंचा रहा है.