एक समय ऐसा भी आएगा जब इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) का चलन बहुत तेजी से बढ़ेगा. ये सब मात्र दो वर्षों के अंदर होने वाला है. ईवी की लगात भी पेट्रोल और डीजल के वाहनों के बराबर हो जाएगी. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की ओर से सोमवार को बयान सामने आया है. ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसीएमए) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री की ओर से ऑटोमोबाइल को सड़क सुरक्षा को बढ़ाने में ज्यादा योगदान देने की बात कही गई है.
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गडकरी के अनुसार, 10 साल पहले उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों को ऑटोमोबाइल कंपनियों से बढ़ाने को कहा था. अब ये लोग कह रहे हैं कि मौका हाथ से जा चुका है. उन्होंने आगे कहा कि हम इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किसी भी प्रकार की सब्सिडी और इंसेंटिव आदि के विरुद्ध नहीं हैं, यदि वित्त मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय ईवी सब्सिडी को लेकर राशि जारी कर देते हैं.
तीन वर्ष में उत्पादन शुरू करना होगा
नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) मैन्युफैक्चरिंग पॉलिसी का उद्देश्य वैश्विक प्लेयर्स को घरेलू वैल्यू चेन में योगदान के लिए आकर्षित करना है. नई ईवी पॉलिसी के तहत कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग सुविधा लगाने के लिए कम से कम 4,150 करोड़ रुपये (500 मिलियन डॉलर) का निवेश करना होता है. वहीं तीन वर्ष में उत्पादन शुरू करना होगा.
इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी 15 प्रतिशत तक पहुंच चुकी
इस दौरान कंपनी को कम से कम 25 प्रतिशत डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन (डीवीए) करना होगा. कम से कम 50 प्रतिशत डीवीए पांच वर्ष के अंदर करना होगा. बीते माह क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की ओर से जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया था. 2030 तक नई कार बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की भागीदारी 15 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. वित्त वर्ष 24 में वित्त वर्ष 23 के मुकाबले 42.06 प्रतिशत नई कारें रजिस्टर्ड की गई थीं.