सरकार यदि चाहती है तो इस वित्त वर्ष में ही स्पेक्ट्रम की नीलामी करना उसके अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन विधायी बकाये पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय से हलकान पुरानी दूरसंचार कंपनियां शायद ही इस नीलामी में भाग लेंगी. दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्यूलर्स ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) ने यह आशंका व्यक्त की है. सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा कि सरकार यदि चाहे तो वह नीलामी कर सकती है, लेकिन मौजूदा वित्तीय हालात को देखते हुए बड़ा सवाल है कि नीलामी में भाग कौन लेगा?
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उन्होंने कहा कि विधायी बकाये पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद पहले से संकटों में घिरी पुरानी दूरसंचार कंपनियों पर दबाव बढ़ा है और ऐसे में वे शायद ही स्पेक्ट्रम के लिये बोलियां सकें. मैथ्यूज ने कहा कि इसके बाद भी नीलामी सरकार के अधिकार क्षेत्र के दायरे में है. यदि नीलामी की ही जाती है, तब सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि स्पेक्ट्रम की नीलामी में किसी का वर्चस्व नहीं हो.
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उन्होंने इसे समझाते हुए कहा कि 3.3 से 3.6 गीगाहर्ट्ज बैंड में 5जी के लिये महज 175 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं. ऐसे में किसी एक कंपनी को 100 मेगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम की मंजूरी नहीं मिलनी चाहिये. मैथ्यूज ने कहा, ‘‘यदि किसी कारण प्रतिस्पर्धी परिस्थितियां बदलती हैं तो भविष्य में अन्य कंपनियों के लिये भी 5जी स्पेक्ट्रम उपलब्ध रहना चाहिये. अभी इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी कब होने वाली है.