पिरामल समूह (Piramal Group) के प्रमुख और जाने-माने उद्योगपति अजय पिरामल (Ajay Piramal) ने कारोबारियों के खिलाफ सरकारी एजेंसियों की ओर से छापेमारी और लुकआउट नोटिस जारी किए जाने के मामलों की रफ्तार बढ़ने की शुक्रवार को आलोचना की और कहा कि इससे कारोबारी समुदाय के मन में अविश्वास बढ़ रहा है. पिरामल ने जापानी निवेशक सॉफ्टबैंक के उनकी एनबीएफसी कंपनी के साथ प्रस्तावित सौदे से पीछे हटने की खबरों पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार किया.
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अन्य उद्योगपति भी जाहिर कर चुके हैं चिंता
कारोबारी मौहाल पर पिरामल ने यह बात ऐसे समय कही है जब एलएंडटी के ए एम नाइक समेत अन्य कारोबारी भी चिंता जता चुके हैं. हालांकि कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax) में कटौती से कारोबारी को लेकर आशा बढ़ी है. पिरामल ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब नियामक और जांच एजेंसियों ने जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल को विदेश जाने से रोका और वीडियोकॉन समूह के प्रवर्तकों पर छापे इत्यादि की कार्रवाई की.
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अजय पिरामल ने वर्ल्ड हिंदू इकॉनमिक फोरम में कहा कि आज मैं देख रहा हूं कि सत्ता में बैठे लोग और पूंजी सृजनकर्ताओं (कारोबारी और निवेशकों) के बीच अविश्वास बढ़ रहा है, दूरियां आ रही हैं. उन्होंने जोर देकर कहा अगर आप पर कोई अपराध करने का आरोप है तो क्या जरूरत है कि उसे अपराधी ठहराया जाए या अपराधीकरण किया जाए? जब पहले से ही काफी सूचनाएं उपलब्ध हैं, आंकड़े उपलब्ध हैं, तो क्या छापेमारी की जरूरत है?
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लुकआउट नोटिस जारी करने की जरूरत है? यह किसी भी कारोबारी के लिए सकारात्मक संकेत नहीं है. उन्होंने कहा कि 'जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि धन-सृजन करने वालों को वह सम्मान मिले, जिसके वे हकदार हैं।' नकदी संकट को लेकर पिरामल ने कहा कि मौजूदा समय में पूंजी की उपलब्धता भी देश के लिए एक चुनौती है.