केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Minister of Commerce Piyush Goyal) ने अपने उस बयान जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेजन (Amazon) भारत में निवेश कर कोई उसका एहसान नहीं कर रही है. उसको लेकर उन्होंने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मेरे बयान को अलग संदर्भ में देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि निवेश का स्वागत है लेकिन उसे कानून के भीतर होना चाहिए.
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अमेजन पर उठाए थे सवाल
बता दें कि इससे पहले उन्होंने सवाल उठाया था कि ऑनलाइन कारोबार मंच उपलब्ध कराने वाली कंपनी अगर दूसरों का बाजार बिगाड़ने वाली मूल्य नीति का पर नहीं चल रही है तो उसे उसे इतना बड़ा घाटा कैसे हो सकता है. दुनिया के सबसे बड़े धनाढ्य व्यक्ति जेफ बेजोस (Zeff bezos) के भारत में एक अरब डॉलर के निवेश की घोषणा के एक दिन बाद गोयल ने यह बात कही थी. उन्होंने कहा था कि ई-वाणिज्य कंपनियों को भारतीय नियमों का अक्षरश: अनुपालन करना होगा. उन्हें कानून में छिद्र ढूंढ कर पिछले दरवाजे से भारतीय बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रवेश करने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
#WATCH Minister of Commerce Piyush Goyal speaks on his reported statement '...it's not as if they (Amazon) are doing a favour to India when they invest a bn dollars.” He says, "..My statement should be seen in context. Investments are welcome but they should be within the law..." pic.twitter.com/VboRq0RYLr
— ANI (@ANI) January 17, 2020
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वाणिज्य मंत्री ने जेफ बेजोस को मिलने का समय नहीं दिया
बता दें कि बेजोस भारत में आए हैं. वाणिज्य मंत्री ने बेजोस को मिलने का समय नहीं दिया है. भारत बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को 49 प्रतिशत से अधिक निवेश की अनुमति नहीं देता. सरकार (Modi Government) ने इस क्षेत्र में अभी किसी भी विदेशी खुदरा कंपनी को कारोबार की अनुमति नहीं दी है. दिल्ली में चल रहे वैश्विक संवाद सम्मेलन ‘रायसीना डायलॉग’ में उन्होंने तल्ख अंदाज में कहा कि अमेजन एक अरब डॉलर निवेश कर सकती है, लेकिन अगर उन्हें अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है, तो वे उस अरब डॉलर का इंतजाम भी कर रहे होंगे. इसीलिए ऐसा नहीं हे कि वे एक अरब डॉलर का निवेश कर भारत पर कोई एहसान कर रहे हैं.
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भारत में अमेजन एक अरब डॉलर निवेश करेगा
अमेजनडॉटकॉम (Amazon.com) ने लघु एवं मझोले उद्यमों को ऑनलाइन मदद के लिये एक अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है. मंत्री ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि आखिर ई-वाणिज्य कंपनियां जो खरीदारों और विक्रेताओं को आईटी मंच उपलब्ध करा रही हैं, उन्हें बड़ा नुकसान कैसे हो सकता है? उन्होंने कहा कि इस पर गौर करने की जरूरत है. गोयल ने कहा कि वे पिछले कुछ साल गोदामों और अन्य गतिविधियों में पैसा लगा रहे हैं, यह स्वागत योग्य और अच्छा है, लेकिन (सवाल है) क्या वे घाटे के वित्त पोषण के लिये धन लगा रहे हैं और वह नुकसान ई-वाणिज्य मार्केट प्लेस मॉडल को हो रहा है?
उन्होंने कहा कि एक निष्पक्ष बाजार मॉडल में कारोबार 10 अरब डॉलर का है और अगर कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है, निश्चित रूप से यह सवाल पैदा करता है कि नुकसान कहां से आता है. गोयल ने यह भी कहा कि जब ऑनलाइन कंपनी अगर बाजार खराब करने वाले कीमत पर सामान उपलब्ध नहीं करा रही है, तब उसे इतना बड़ा घाटा कैसे हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘‘ये सवाल हैं जिसके उत्तर की जरूरत है। मुझे भरोसा है कि जो प्राधिकरण इसे देख रहा है, वे उसका जवाब लेंगे और मुझे विश्वास है कि ई-वाणिज्य कंपनियों भी अपना पक्ष रखेंगी.
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उल्लेखनीय है कि भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने हाल ही में ई-वाणिज्य कंपनियों फ्लिपकार्ट और अमेजन के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे. यह आदेश बड़ी छूट समेत तरजीही विक्रेताओं के साथ गठजोड़ समेत गड़बड़ियों की जांच के लिये दिया गया था. गोयल ने कहा कि भारत ई-वाणिज्य बाजार में विदेशी निवेश की अनुमति देता है. इस मॉडल में खरीदार और विक्रेता व्यापार करने के लिये स्वतंत्र हैं लेकिन ये ई-वाणिज्य कंपनियां अपना माल भंडार नहीं रख सकती है या वे कीमतें तय नहीं कर सकतीं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जबतक इन नियमों का अनुपालन होता है, हम भारत में ई-वाणिज्य कंपनियों का स्वागत करते हैं. (इनपुट भाषा)
Source : News Nation Bureau