Russia-Ukraine war: रूस- यूक्रेन युद्ध का प्रभाव दुनियाभर के देशों पर पड़ रहा है. युद्ध के ही प्रभाव से ही कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा हो रहा है. युद्ध के कारण मंदी जैसे हालत बने हुए हैं. महंगाई का प्रकोप भी दिन- प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. इसी कड़ी में दुनियाभर की करीब 100 कंपनियों की करोड़ों की बिजनेस डील ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनिया की लगभग 100 कंपनियों ने 3.40 लाख करोड़ रुपए (45 बिलियन डॉलर) से अधिक के सौदे टाल दिए हैं.
युद्ध का प्रभाव फंडिग मार्केट पर नजर आ रहा है. निवेशक रिस्क लेने से कतरा रहे हैं वहीं ग्रोथ की अनिश्चितता बढ़ गयी है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी जैसे कारकों की वजह से बैंकरों का भी इसका भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
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बड़ी कंपनियों ने टाले आईपीओ
रूस- युक्रेन युद्ध का ही प्रभाव रहा कि फरवरी के अंत से ही लगभग 50 कंपनियों ने अपनी आईपीओ योजनाओं को टाल दिया है. इन कंपनियों में कुछ बड़े नाम बायोक्सीट्रान इंक, क्राउन इक्विटी होल्डिंग्स इंक और सैगिमेट बायोसाइंसेज इंक शामिल हैं. वहीं 13 बिलियन पाउंड (17.1 बिलियन डॉलर) के कारोबार वाली ओलम इंटरनेशनल लिमिटेड ने लंदन स्टॉक एक्सचेंज में अपनी खाद्य इकाई की एक लिस्टिंग को रोक दिया. चीनी समूह डालियान वांडा ग्रुप कंपनी ने भी अपने नियोजित हांगकांग आईपीओ को टाल दिया है.
मर्जर और अधिग्रहण
युद्ध के बाद से ही 5 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सौदे रूके हुए हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट् के मुताबिक वर्ष के पहले तीन महीनों में वैश्विक एमएंडए (Mergers and acquisitions) 15% गिरकर 1.02 ट्रिलियन डॉलर हो गया है.
HIGHLIGHTS
- फरवरी अंत से ही बड़ी कंपनियों ने IPO प्लान्स रोक दिए
- ग्राेथ की अनिश्चितता के कारण निवेशक रिस्क नहीं ले रहे हैं