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बढ़ते राजकोषीय घाटे की चिंता में सहमा बाजार, निवेशकों ने की जमकर बिकवाली, 450 अंक टूटा सेंसेक्स

राजकोषीय घाटे में हुए इजाफे को लेकर बढ़ रही चिंता और जीडीपी डेटा से जुड़ी आशंकाओं के कारण शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली हुई।

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Abhishek Parashar
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बढ़ते राजकोषीय घाटे की चिंता में सहमा बाजार, निवेशकों ने की जमकर बिकवाली, 450 अंक टूटा सेंसेक्स

GDP डेटा से पहले सहमा बाजार (फाइल फोटो)

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राजकोषीय घाटे में हुए इजाफे को लेकर बढ़ी चिंता और जीडीपी डेटा से जुड़ी आशंकाओं के कारण शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली हुई। वहीं उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़े तनाव ने शेयर बाजार की चाल को प्रभावित किया। 

अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 96.1 फीसदी तक पहुंच गया वहीं सेंट्रल स्टैसटिक्स ऑफिस (सीएओ) आज शाम मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़ों को जारी करेगा। 

घरेलू और बाहरी कारणों से जुड़ी आशंकाओं के कारण गुरुवार को निवेशकों ने जमकर बिकवाली की, जिसकी वजह से बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स करीब 500 अंक तक टूटकर 33,149.35 पर बंद हुआ।

वहीं 50 शेयरों वाला नैशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 1.30 फीसदी टूटकर 134.75 अंकों की गिरावट के साथ 10,226.55 पर बंद हुआ। बैंकिंग शेयरों में हुई जबरदस्त बिकवाली से सेंसेक्स दबाव में रहा।

सेंसेक्स में सबसे अधिक टूटने वाले शेयरों में कोटक (2.63 फीसदी), एसबीआई (2.54 फीसदी), रिलायंस (2.42 फीसदी), एक्सिस बैंक (2.39 फीसदी), आईसीआईसीआई (2.17 फीसदी) और टाटा स्टील रहे।

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बीएसई मिडकैप इंडेक्स में भी जमकर बिकवाली हुई। इसके अलावा ऑटो और बैंकिंग इंडेक्स के शेयर जबरदस्त दबाव में दिखे।

बीएसई ऑटो इंडेक्स करीब 1 फीसदी टूटकर 250 अंकों की गिरावट के साथ 25205.37 पर बंद हुआ वहीं बीएसई बैंकिंग इंडेक्स 548.42 अंक टूटकर 28631.42 पर बंद हुआ।
वहीं एनर्जी, फाइनैंस, मेटल और ऑयल एंड गैस इंडेक्स भी दबाव के बाद लाल निशान में बंद हुआ।

क्यों टूटा बाजार?

अक्टूबर में आए राजकोषीय घाटे के आंकड़ों ने बाजार की चिंता को बढ़ाने का काम किया है। अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 96.1 फीसदी तक पहुंच गया।

सीजीए (कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट्स) के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा 5.25 ट्रिलियन डॉलर रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा 79.3 फीसदी था। राजकोषीय घाटा खर्च और आय के बीच का अंतर होता है।

मौजूदा वित्त वर्ष के लिए सरकार ने जीडीपी के मुकाबले 3.2 फीसदी राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह लक्ष्य 3.5 फीसदी था, जिसे सरकार पूरा करने में सफल रही थी।

जीडीपी डेटा से पहले सतर्क निवेशक

इसके साथ ही जीडीपी के आंकड़े आने से पहले निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो से जुड़े जोखिम को कम किया।

सेंट्रल स्टैसटिक्स ऑफिस (सीएओ) आज शाम मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी आंकड़ों को जारी करेगा। गौरतलब है कि पहली तिमाही में देश की जीडीपी घटकर 5.7 फीसदी हो गई थी जो पिछले तीन सालों की सबसे कमजोर ग्रोथ रेट थी।

पहली तिमाही में जीडीपी में आई गिरावट की सबसे बड़ी वजह गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीडीपी) का लागू किया जाना रहा। इसके बाद से जीएसटी काउंसिल जीएसटी में कई अहम बदलाव कर चुका है।

आने वाले दिनों में शेयर बाजार की चाल में जीडीपी आंकड़ों की अहम भूमिका होगी। घरेलू स्तर पर यह बाजार के लिए बड़ा ट्रिगर साबित होगा। वहीं वैश्विक स्तर पर कोरियाई प्रायद्वीप का तनाव बाजार की गति को प्रभावित करने वाला बड़ा फैक्टर होगा।

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HIGHLIGHTS

  • राजकोषीय घाटे में हुए इजाफे को लेकर बढ़ रही चिंता और जीडीपी डेटा से जुड़ी आशंकाओं के कारण शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली हुई
  • वहीं उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षण के बाद कोरियाई प्रायद्वीप में बढ़े तनाव ने शेयर बाजार की चाल को प्रभावित किया
  • इसके अलावा अक्टूबर में आए राजकोषीय घाटे के आंकड़ों ने बाजार की चिंता को बढ़ाने का काम किया है
  • अक्टूबर महीने में देश का राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 96.1 फीसदी तक पहुंच गया

Source : News Nation Bureau

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