Stock Market Today: कारोबारी सप्ताह के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में सुनामी आ गई, उसके बाद चंद घंटों में निवेशकों के लाखों करोड़ स्वाह हो गए. बीएसई सेंसेक्स 1017.23 अंक यानी 1.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,183.93 अंक पर बंद हुआ. जबकि निफ्टी 292.95 अंक यानी 1.17 फीसदी गिरकर 24,852.15 अंक पर क्लोज हुआ. जबकि बैंक निफ्टी में 896.20 अंक यानी 1.74 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में से एसबीआई, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदाणी पोर्ट्स, लार्सन एंड टुब्रो और महिंद्रा एंड महिंद्रा में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई. बाजार बंद होने से कुछ घंटे पहले बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 4.46 लाख करोड़ रुपये से गिरकर 461.22 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. इस गिरावट के बाद निवेशकों की चिंता बढ़ गई कि क्या लंबे समय से होल्ड किए गए शेयरों को बेच देना चाहिए. बाजार में शुक्रवार को आई गिरावट अस्थाई है या फिर कुछ बड़ा होने वाला है.
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जानें क्या है शेयर बाजार में गिरावट की वजह?
भारतीय शेयर बाजार में ही गिरावट नहीं देखी जा रही, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अर्थव्यवस्था अमेरिका में भी लंबे समय से मंदी की आशंका बनी हुई है. गुरुवार को अमेरिका में नौकरी से जुड़ा डेटा काफी कमजोर आया. इसके साथ ही यूएस नॉन-फर्म पेरोल्स डेटा को लेकर भी अमेरिकी निवेशक सतर्क हो गए. क्योंकि इससे ओवरऑल सेंटिमेंट पर नजर डालें तो ये काफी कमजोर बने हुए हैं. अमेरिकी शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों से गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है. जिसका असर दुनियाभर के बाजारों पर पड़ रहा है. जिसके चलते भारत ही नहीं बल्कि चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और हांगकांग जैसे एशियाई बाजार में भी गिरावट देखने को मिल रही है.
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बाजार में गिरावट की मुनाफावसूली भी एक वजह
इसके अलावा बैंकों की घटती डिपॉजिट ग्रोथ भी भारतीय बाजार में गिरावट की एक वजह दिखाई दे रही है. जिसके चलते फाइनेंस सेक्टर के बड़े शेयरों में भी गिरावट देखने को मिल रही है. इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक के हाल के डेटा से पता चलता है कि जून तिमाही में डिपॉजिट ग्रोथ 11.7 फीसदी दर्ज की गई. जबकि लोन ग्रोथ 15 प्रतिशत रहा. जिसके चलते निवेशक सहम गए हैं कि बैंकिंग सेक्टर का मुनाफा प्रभावित हो सकता है. यही नहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी बैंकों की घटती ग्रोथ पर पहले से ही चिंता जता चुकी हैं. बावजूद इसके भारतीय शेयर बाजार अपने ऑलटाइम हाई के आसपास बना हुआ है. इसके साथ ही निवेशक मुनाफावसूली पर भी जोर देर रहे हैं. शुक्रवार को भी मुनाफावसूली में तेजी दर्ज की गई.
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इस वजह से भी आई बाजार में गिरावट
दरअसल, यूएस फेड मीटिंग में ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. हालांकि, यूएस फेड ब्याज में कटौती के संकेत मिल चुके हैं. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर कटौती होगी कितनी. 25 बीपीएस कटौती से शेयर बाजार में खुशी नहीं है. लेकिन, अगल 50 बीपीएस या इससे अधिक कटौती होती है तो दुनियाभर के शेयर बाजारों में उछाल आना तय माना जा रहा है. यही वजह है कि ज्यादातर निवेशक अभी शेयर बाजार में बड़ा निवेश करने से बच रहे हैं.
वहीं अमेरिका में जुलाई के महीने में नौकरी के अवसर साढ़े तीन साल के निचले स्तर पर चले गए. जिससे अमेरिकी श्रम बाजार में मंदी दर्ज की गई. इसका असर दलाल स्ट्रीट समेत दुनियाभर के बाजारों पर देखने को मिला है. वहीं वॉरेन बफेट जैसे दिग्गज निवेशकों के कैश रिजर्व बढ़ाने से भी बाजार के निवेशकों में चिंता बनी हुई है. इसके साथ ही अमेरिकी श्रम बाजार में मंदी के डर ने अमेरिकी मुद्रास्फीति की चिंता बढ़ गई है. इससे अमेरिकी फेड ब्याज दरों में कटौती के अपने फैसले को लेकर फिर से विचार कर सकता है.