रैनबैक्सी (Ranbaxy) के पूर्व मालिकों मलविंदर सिंह और शिविंदर सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच करेगी. यह सुनवाई 11 अप्रैल को होगी. सुनवाई में अगर दोनों को दोषी पाया जाता है तो कोर्ट उन्हें जेल भेजेगा. सुप्रीम कोर्ट ने दवा निर्माण के क्षेत्र में जानी-मानी कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों मलविंदर और शिविंदर सिंह के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अगर अदालत उन्हें अवमानना का दोषी पाती है तो उन्हें सीधे सलाखों के पीछे भेज दिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करने में विफल रहने पर मलविंदर और शिविंदर सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका सुनने को राजी हो गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सिंगापुर स्थित पंचांट के निर्णय के अनुसार जापानी कंपनी डायची सैंक्यो को करीब चार हजार करोड़ रुपये के भुगतान के बारे में रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों के जवाब पर निराशा जाहिर की है. बता दें कि रैनबैक्सी की तरफ से जापानी फार्मा कंपनी डायची सैंक्यो को पुनर्भुगतान के लिए कोई पैसा नहीं मिला है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व मालिकों मलविंदर और शिविंदर सिंह के खिलाफ अवमानना की याचिका पर सुनवाई का फैसला किया है. इस केस की सुनवाई 11 अप्रैल को होगी. सुप्रीम कोर्ट पहले भी दोनों पर तल्ख टिप्पणी कर चुका है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने रैनबैक्सी के मालिकों से कहा था कि दो सप्ताह में बताएं कि 3,500 करोड़ रुपये की रकम कब और कैसे चुकाएंगे.
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क्या है पूरा मामला
यह पूरा मामला रैनबैक्सी और जापानी फार्मा डायची सैंक्यो के बीच का है. दोनों कंपनियों के बीच विवादित मामले का निपटारा करते हुए सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत ने रैनबैक्सी को आदेश दिया था कि वह डायची सैंक्यो को 3,500 करोड़ रुपये का भुगतान करें, लेकिन रैनबैक्सी ने यह रकम नहीं चुकाई. इसके बाद डायची सैंक्यो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
Source : News Nation Bureau